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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - 2022 में मैं नवाणु यात्रा करने परिवार के साथ गया। पत्नी की | बाल्यावस्था से ही दीक्षा की भावना होने के बावजूद माता-पिता की ढील के कारण उत्साह दब गया। किन्तु शादी के बाद भी उसका दही बन्द था। उसे हमारे घर. के वातावरण में आराधना का सुन्दर वेग मिला, जिससे ही छोटे पुत्र जसवन्त को दीक्षा दिलाने में सभी सम्मत हुए थे।
उस समय मेरी दीक्षा की भावना होने के बावजूद छोटा पुत्र महेन्द्र पाँच वर्ष का होने के कारण थोड़ा समय रुककर गृहस्थ जीवन में ही हो सके उतनी सुन्दर आराधना में करता था। | पुत्र महेन्द्र को भी नवाणु यात्रा के समय विधि पूर्वक एवं भक्ति पूर्वक आराधना से वैराग्य वृद्धि, हुई दीक्षा लेने की भावना हुई। मैट्रिक की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर धार्मिक अभ्यास हेतु पाटण रुका और पंच प्रतिक्रमण-प्रकरण-भाष्य आदि का अभ्यास किया। उसने प्रतिदिन प्रतिक्रमण करने का एवं गर्म पानी पीने का प्रारम्भ किया।
मेरी दीक्षा संवत् 2023 में तय हुई और उस समय महेन्द्र तथा उसकी माँ की तीव्र इच्छा न होने के कारण उनको छोड़कर मेरी दीक्षा का मुहूर्त निकलवाया। उस समय मेरी एक भत्तीजी की भी भावना थी।
हम दोनों समाज के रिवाज के अनुसार बन्दोले खा रहे थे और अन्तिम महीने के दिनों में महेन्द्र एवं उसकी माँ भी हमारे साथ दीक्षा लेने को तैयार हो गयी। साथ में एक भत्तीजी जो इस साल ही शिखरजी की यात्रा करके आयी थी, उसकी भी हमारे साथ ही दीक्षा लेने की भावना होने से हम पांचो की दीक्षा सं. 2023 माघ सुदि 10 को तय हुई।
एक ही परिवार की पाँच दीक्षा होने से गाँव में खूब उत्साह था। आमंत्रण पत्रिकायें गाँवों गाँव भिजवाई गयीं। साथ-साथ में गाँव वालों ने अपने अपने सगे-सम्बन्धियों को पत्र लिखे कि, 'ऐसा अनुपम अवसर बार-बार देखने को नहीं मिलता हैं। और हमको कहते कि, 'चाहे जितने मेहमान आयें, उनकी व्यवस्था के लिये हम सभी खड़े पैर तैयार हैं। ___ महोत्सव माघ सुदि 3 से प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन पूजा, आंगी एवं
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