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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
अग्नि प्रक्षेप करने लगे। फिर भी सभी यात्रियों की जान बचाने हेतु विमान चालक ने कठोर श्रम किया, जिससे विमान खेत में चला गया। किन्त.....
सबसे आश्चर्यकारी घटना तो यह थी कि विमान खेत की एक विशाल शिला से टकराकर रुक गया, जहाँ से कुछ ही आगे पानी का गहरा नाला था। मैं तो श्रद्धा से यही मानता हूँ कि एक मात्र मेरा नवकार जाप ही सभी के रक्षण का निमित्त बना। वरना आग लगना, खेत में चले जाना और वहां भी गहरे पानी के गड्ढे में गिरकर अकस्मात् में मर जाने के बजाय होनी का ही न होना कैसे हो सकता था?
उत्सुकता के साथ गुरुवार के दिन दोपहर में SPECIAL PLANE में गौहाटी से कलकत्ता जाने के पूर्व RESTAURANT की छत से देखा तो हमारा वह विमान करीब 1 कि.मी. दूर खेत में एक खिलौने सा पड़ा है, जिसकी एक ओर की पंख जमीन तक झुक गयी है। फिर भी नवकार के प्रभाव से प्राण और सामान दोनों बच गये।
बंधन मुक्ति की सत्यानुभूति
धर्मास्थायुक्त वह किशोरावस्था थी। जैन धर्म के मर्म तक पहुँचना दूर था किन्तु कोई पुण्योदय का काल था कि मुझे संसारी अवस्था में मैट्रिक के अभ्यास पूर्व ही झरिया नगर में भवोपकारी गुरु महाराज का सम्पर्क हुआ। तपस्वीरत्न निःस्पृही गुरु महाराज के श्रीमुख से सिर्फ 14 वर्ष की उम्र में ही नमस्कार महामंत्र के नवलाख जाप की प्रतिज्ञा सम्प्राप्त हुई। दिनांक 21-10-1971 के शुभ दिन जाप का शुभारंभ सिर्फ गुरुवचन श्रद्धा और पूर्वभवों के तथाप्रकार के संस्कार से प्रारंभ किया। वैसे तो यही नवलखा आठ-दस साल तक में पूरा हो ऐसी गिनती से दस साल में पूर्णाहूति की प्रतिज्ञा थी, किन्तु जापारंभ के पश्चात् प्रवर्धमान भावना के बल से कॉलेज जीवन के बीच ही सिर्फ चार साल में पूर्ण हुआ। जब-जब जाप किया संकल्प - मनः शुद्धि - सहजता और सरलता पूर्वक किया । तब तो नवकार जाप ही नवपदावर्त, नंदावर्त, शंखावर्त, या फिर अन्य विधि
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