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। स पूछा। .
-- जिसके दिल में श्री नवकार, ठसे करेगा क्या संसार? - "श्रीकांत को जाने दो, इसे मार्ग दो, इसे श्मशान पहुंचने में देरी होगी।"
भगत की आज्ञा हुई इसलिए जन समुदाय ने तो उसे मार्ग दिया, किंतु श्रीकांत के पैर रूक गए। ___ "श्मशान में?" - उसने भगत से पूछा।
जवाब में भगत कुछ नहीं बोले, केवल थोड़े से मुस्कुराए।
"भगत! मैं तो अपने मित्र दिव्यकांत के विवाह में जा रहा हूँ। श्मशान में नहीं।"श्रीकांत ने कहा।
"कैसा विवाह और कैसी बात। जाओ, जल्दी, जाओ, अन्यथा गाड़ी रवाना हो जायेगी और तुम पीछे रह जाओगे।" उका भगत इतना ही बोले। उन्होंने श्रीकांत को स्टेशन की ओर जाने का ईशारा किया। ____ गाड़ी रवाना हो जाए, इससे पहले स्टेशन पहुँचने की जल्दी थी, इसलिए श्रीकांत ने वहाँ से पैर उठाए। | वह समय पर स्टेशन पहुँचा, टिकिट लेकर बैठा और गाड़ी रवाना हो गई। किंतु श्रीकांत के मन में उका भगत की श्मशान वाली बात ऐसी बैठ गई कि विवाह में भाग लेने का जो आनन्द था, वह लुप्त हो गया। दिल में कंपन बैठ गई।
उका भगत की भविष्यवाणी श्रीकांत के अंतःकरण को सताने लगी। गाड़ी. तो अपनी हमेशा की गति से आगे बढ़ रही थी, किंतु उसे लगा कि ड्राईवर गाड़ी बहुत धीरे चला रहा है। आखिर शहर आया। टेक्स: करके श्रीकांत ने दिव्यकांत के घर की ओर दौड़ लगाई।
उसे वहां पहुंचते ही शादी के गीत के बजाय मृत्यु की सिसकियां सुनाई देने लगीं। विवाह के दिन ही केवल दो. घंटों की अप्रत्याशित बीमारी से दिव्यकांत की आत्मा दिव्यधाम की तरफ चल पड़ी थी। ___डॉक्टर तो दस इकट्ठे हुए थे। किंतु दिव्यकांत की बीमारी का निदान कर सकें उससे पहले ही दिव्यकांत के प्राणपखेरू उड़ गये थे। उस उका भगत की भविष्यवाणी सही हुई थी। विवाह का आनन्द लेने के बदले,
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