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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
"सेठजी! देखो तो सही, अभी पानी लाकर देता हूँ।" "ले आ पानी, तेरी मेहरबानी ।" मुसलमान ने चार पांच कदम दूर जाकर जमीन पवित्र कर एक रुमाल बिछाया और कुछ गुनगुनाने लगा। सेठ सोचते हैं, यह क्या कर रहा है। ऐसे क्या पानी मिल जाने वाला है?
सेठ का धैर्य खत्म हुआ और बोल उठे, "भाई साहब! रहने दो, हम जा रहे हैं। ऐसे पानी नहीं आयेगा ।" किंतु वह मुसलमान तो अपने ध्यान में मस्त था। थोड़े ही क्षण बाद वहां मीठे पानी का कुंड दिखाई दिया। इस मीठे पानी के कुण्ड में से मुसलमान ने लोटा भरकर सभी को पानी पिलाया। सेठ की खुशी का पार नहीं रहा। सेठ ने सोचा कि यह तो परमात्मा जैसा है। लड़के खुश हो गये और सेठ बोल पड़े, " वाह रे मुसलमान। "
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सेठ ने मुसलमान से कहा, "मुझे यह तो बता किं, तुम रुमाल बिछाकर क्या गुनगुना रहा था ? मुसलमान ने बताया- 'सेठ साहब! गुरु महाराज ने मुझे एक मंत्र बताया था और उन्होंने कहा था कि इस मंत्र के प्रभाव से तेरी सभी इच्छाएं पूरी होंगी, विघ्न एवं विपदाएं दूर होंगी। मुझे गुरुजी के वचन के ऊपर पूर्ण श्रद्धा थी, जिससे मैंने इस मंत्र का ध्यान किया।" इसके प्रभाव से तुरंत ही पानी का कुंड तैयार हो गया । "
" किंतु यह मंत्र कौन सा है, यह तो बता?" सेठजी बोले ।
"सेठजी, आपको इस मंत्र से क्या काम है? आपका काम हो गया है ।" - मुसलमान ने बताया ।
सेठजी कहते हैं कि " वह हमारे कठिन समय में काम आयेगा, यदि इस समय तुम नहीं होते तो पानी के बिना लड़के मर जाते, इसलिए हमें यह मंत्र बता दो, ताकि हम भी कठिन प्रसंग में इसका प्रयोग कर हमारी इच्छा पूर्ण कर सकें।"
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सेठ ने खूब आग्रह किया तब मुसलमान बोला- 'सेठजी ! सुनो, 'नमो अरिहंताणं... नमो सिद्धाणं..." वगैरह नवकार मंत्र के नवपद वह शुद्धता से बोलने लगा।
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