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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
तथा उवसग्गहरं का बारी-बारी से जाप किया। थोड़ी देर बाद आंखें खोलकर देखा तो 5 किलोमीटर दूर एक मुसाफिर ऊंटनी पर बैठकर जा रहा था। मैंने तेज आवाज लगाने के साथ दण्डे पर कपड़ा बान्धकर ऊँचा किया। जिसे देखकर मात्र 10 मिनट में वह 6 फीट लम्बा पठानी वेशभूषा वाला आदमी आ गया और रास्ता बताया। क्षण भर बाद मैंने पीछे देखा तो वह अदृश्य हो गया था !
फिल्म की तरह जवाब पत्र मिला
मैं ई. स. 1958 में 16 वर्ष का गृहस्थावस्था में था। मैं तब मैट्रिक की परीक्षा में 4 बड़े माप के पन्ने का अंग्रेजी प्रश्नपत्र देखकर एकदम घबरा गया। ऐसे भी मेरी अंग्रेजी कमजोर थी। मैं अन्त में आंखे बन्द कर नवकार एवं उवसग्गहरं का क्रमशः जाप करने लगा। ऐसे भी बड़ों की | प्रेरणा से प्रतिदिन एक माला तो अवश्य गिनता था । और वहां तो चमत्कार हो गया। जाप करते-करते बन्द आंखों में फिल्म की तरह प्रश्नों के उत्तर दिखने लगे और जिससे उत्साह में आकर मुझे जितने उत्तर याद रहे वे लिखे और 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किये !
लेखक पू. गणिवर्य श्री महायशसागरजी म.सा. (हाल आचार्य) (इसमें पू. पंन्यास श्री अभयसागर जी म.सा. के अनुभवों में से कुछ घटनाएं पालीताणा में उनके स्वयं के मुख से भी सुनी थी। पुनः सं. 2043 में मुम्बई मलाड़ में पू. गणिवर्य श्री महायशसागरजी के पास से सुनी थी। उनका सारांश यहां पेश किया गया है - सम्पादक)
नवकार मंत्र का अजीब प्रभाव
(यहां पेश किये गये 6 अजैन प्रसंगों सहित कुल 7 प्रसंगों शतावधानी पू. आ. भ. श्री विजयकीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा लिखित संपादित "संस्कार नी सीढी.' "प्रसंग परिमल, " 'तेजस्वी रत्नों" तथा धर्मतत्त्व प्रकाश" में से साभार उद्धृत किये गये हैं - सम्पादक)
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उत्तरप्रदेश में आये हुए झांसी शहर की यह ताजी घटना है। जिसे
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