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जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? से अनन्य शरण भाव से इस माता की गोद में आलोटने की।
प्लास्टर अदृश्य हुआ
सं. 2027 में उंझा संघ के आग्रह से पूज्य श्री का चातुर्मास उंझा में तय हुआ था। उन्होंने चातुर्मास प्रवेश के लिए अहमदाबाद से विहार किया। परन्तु आषाढ़ वद 30 को रीक्षे के साथ उनकी भिड़न्त हुई। पैर में फैक्चर हो गया। फिर भी आत्मबल से डेढ़ किलोमीटर चलकर वैद्यराज के पास पहुंचे। उन्होंने 18 दिन का प्लास्टर बांध दिया और विहार न करने का आग्रह किया। परन्तु पू. श्री रात्रि में नवकार महामंत्र की साधना में स्थिर हुए और अजीब चमत्कार हो गया। पट्टी-पाटे सभी अदृश्य हो गये थे। उसके साथ दर्द भी गायब हो गया। जैसे कुछ ही हुआ न हो उसी प्रकार दूसरे दिन पूज्य श्री ने उंझा की ओर विहार किया और समय पर चातुर्मास प्रवेश भी हो गया ।
चौथी बार दिल का दौरा... फिर भी ... !
सामान्यतः दूसरे या अन्त में तीसरे हार्ट अटेक के बाद कोई भी रोगी जीवित नहीं रह सकता, ऐसा डॉक्टरों का मानना है । परन्तु पूज्य श्री ने महामंत्र की साधना के द्वारा चार चार हार्ट अटेक आने के बाद भी मृत्यु के सामने टक्कर झेलकर डॉक्टरों को भी आश्चर्य में डूबो दिया । चौथे हार्ट-अटैक से पहले पूज्य श्री ने नवकार की साधना के द्वारा मिली हुई पूर्व चेतावनी के अनुसार शिष्य वृन्द को कह दिया कि, "मुझे 72 घंटे तक जगाने की कोशिस नहीं करना। किसी भी प्रकार की दवा या इन्जेक्शन मत देना। इतना ही नहीं, मेरे शरीर को स्पर्श भी मत करना । " और वे मानो कि बेसुध हो गये (या नवकार मैया की गोद में लेट गये) और 72 घंटों के बाद वे स्वयं होश में आ गये, तब वे सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ थे। डॉक्टरों ने भी यह देखकर मुँह में अंगुली डाल दी ।
जम्बूद्वीप के दर्शन हुए
पूज्य श्री को एक बार राणकपुर के जिनमन्दिर में दर्शन करते हुए एकाएक पूरे जम्बुद्वीप के दर्शन हुए और अन्तर सूचना मिली । तदनुसार
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