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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - जानकर देवी को याद किया। बचाव हेतु विनति की। परन्तु उन्होंने कहा कि, "उसकी आयु कम होने से उसे बचाने की मेरी शक्ति नहीं है। तुम्हारी पुत्री बुधवार को सवेरे 9 बजे मृत्यु प्राप्त करेगी।" अन्तिम समय नजदीक जानकर, आशा को अन्तिम आराधना करवाने में सगे-सम्बंधियों का बहुत ही विरोध व कड़वे वचन सुनने पड़े। किन्तु आत्मा की गति का प्रश्न था। तब ऐसे विरोध की परवाह कैसे की जाये! वास्तव में आशा ने सवेरे 9 बजकर 5 मिनट पर नवकार स्मरण करते-करते देह त्याग दिया। उसके चक्षुदान करने की सम्मति उसके पास से ले ली थी और उसी के अनुसार चक्षुदान किया।
इस प्रकार पुत्री के अकाल अवसान से मन शोकमग्न रहता था। तब एक रात फिर देवी ने स्वप्न में कहा, "चिन्ता मत करो। नवकार के प्रभाव से तुम्हारी पुत्री की सद्गति हुई है।" मैंने अपनी पुत्री के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की। उस देवी ने मुझे मेरी पुत्री, जो नवकार के श्रवण के प्रभाव से देवी बनी थी, उसके मुझे दर्शन करवाये। जिससे मुझे बहुत सन्तोष हुआ। उस देवी ने कई बार अपने पास से धन वगैरह भी मांगने के लिए आग्रह किया। किन्तु अब तक मैंने उससे ऐसा कुछ नहीं मांगा है। वास्तव में इस घटना से नवकार के प्रति मेरी श्रद्धा एकदम बढ़ गई है। सभी नवकार मंत्र की आराधना करके अपना आत्म-कल्याण साधे। यही शुभभावना
लेखिका : द्रौपदी बेन शाह (मड़ागुंद वाले) बंगला न. बी 1 बी, फर्स्ट गेट के पास, सेण्ट्रल स्कूल के सामने,
ओडनस एस्टेट अम्बरनाथ पिन : 421501 फोन नं. 2262 उपर्युक्त घटना संक्षेप में पार्वचन्द्रगच्छीय सा. श्री ॐ कार श्री जी के पास सुनी थी एवं उनका पता लिया। उसके बाद हमने अम्बरनाथ जाकर द्रौपदी बेन के मुख से यह घटना सविस्तार सुनी। सं. 2043 में डोंबीवली चौमासे में रविवारीय प्रवचनमाला के दौरान हमारे कहने से द्रौपदी बहन ने विशाल सभा के समक्ष अपने
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