________________
- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? -
AMRM MMM -
3000000000000003
8
88888889390204033999
। श्री नाकोड़ा पार्वनाथ तीर्थ का संक्षिप्त परिचय
भारतभर में सुविख्यात एवं प्राचीन स्थापत्य तथा शिल्पकला से परिपूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य में समाया हुआ श्री नाकोड़ा जी तीर्थ (मेवानगर) बाड़ेमेर जिले में बालोतरा रेल्वे स्टेशन से 11 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
श्री वीरमसेन जी द्वारा विक्रम संवत से तीसरी सदी पूर्व में आबादी किये गये इस मेवागनर को तब वीरमपुर नगर के नाम से संबोधित किया जाता है।
यहां मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री ऋषभदेव भगवान, तथा श्रीशांतिनाथ भगवान के सैकड़ों वर्ष प्राचीन कलाकृति से परिपूर्ण एवं शिल्प शास्त्रानुसार निर्मित सुन्दर जिनालय दर्शन करने योग्य हैं।
इन मन्दिरों के साथ-साथ श्री सिद्धचक्रजी का मन्दिर, श्री पुंडरिकस्वामी की देरी, श्री पंचतीर्थी का मन्दिर, पट्टशाला, आधुनिक कलाकृति से परिपूर्ण महावीर स्मृति भवन, श्री ऋषभदेव भगवान के चरण तथा तीर्थ स्थल से लगभग दो हजार फीट की ऊंचाई पर प्राकृतिक सौन्दर्य के मध्य श्री नेमिनाथ जी की ट्रॅक (गिरनारजी), समीप ही दादावाड़ी भी दर्शनीय तथा अवलोकनीय है। इस तीर्थ का पुनरुद्धार स्व.प्रवर्तिनी साध्वीजी श्री सुन्दरश्रीजी ने महान परिश्रम के साथ करवाया था जो सराहनीय है।
विशेषकर महान चमत्कारी मनोकामना पर्ण करने वाले अधिष्ठायक देव " श्री नाकोड़ा भैरवजी, जिन्हें जैनाचार्य श्री कीर्तिरत्नसूरिजी ने अनेक तप साधना के साथ शताब्दियों पूर्व यहां प्रतिष्ठित किये हैं, विद्यमान हैं। तीर्थस्थान पर विद्युत्, पेयजल, आवास, चिकित्सा, पुस्तकालय, एवं वाचनालय, संचार यातायात की उत्तम व्यवस्था उपलब्ध है।
प्रति रविवार को, पूर्णिमा को, कृष्णा दशमी को एवं खास करके पोष कृष्णा दशमी को यहां हजारों यात्रिकों की भीड़ लगी रहती है।
पोष कृष्ण दशमी (श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के जन्म कल्याणक दिन) को यहां हजारों की संख्या में तेला (अटुम) तप के तपस्वी आते हैं। उनके उत्तर पारणा, पारणा, आवास, बहुमान आदि की सुन्दर व्यवस्था वहां की जाती है। उपरोक्त श्री नाकोड़ा तीर्थ ट्रस्ट की ओर से प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में सुन्दर सहयोग मिला है, इसके लिए हम आभारी हैं।
-प्रकाशक
-
-
-
XIV