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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
भीड़भंजन दादा आ गये और काफी समय के पश्चात् वे भी अदृश्य हो गये, तब घड़ी में दो डंके बजे। इस प्रकार पूज्य श्री ने दो घंटे तक किसी अलौकिक दुनिया का अनुभव किया। फिर सुबह तक नवकार जाप में ही लीन रहे, सोये नहीं। और सुबह जब वे मन्दिर में दर्शन करने गये, तब वहां भी रात में दिखाई दिये उसी ही स्वरूप में भीड़भंजन दादा पार्श्वनाथजी के दर्शन हुए और अपूर्व आनन्द की अनुभूति हुई ।
शरीर का होश खो गया
एक बार मांडवी (कच्छ) में पू. गुरुवर्या श्री ने खीर के 20 एकासने एवं मौन सहित एक लाख नवकार के जाप का संकल्प लिया था। प्रतिदिन 50 पक्की माला का जाप होता था। तब पू. गुरुवर्या श्री एक दिन जाप में ऐसे खो गये थे, कि उनके शरीर पर बहुत चींटियां चढ़ गई और कपड़ों में छिद्र हो गये। चींटियां ऐसे डंक देने लगी तो भी बहुत देर तक पूज्य श्री को पता नहीं चला। इस प्रकार नवकार महामंत्र के जाप के द्वारा पूज्य गुरुवर्या श्री ने देहाध्यास पर ठीक-ठीक विजय प्राप्त कर लिया। ऐसे तो दूसरे कई अनुभव हैं, परन्तु पूज्य श्री यथासंभव इन अनुभवों को किसी को नहीं बताते हैं। फिर भी किसी को इन अनुभवों को पढ़कर नवकार मंत्र के प्रति अटल श्रद्धा जगे और उसकी आराधना द्वारा आत्म-कल्याण साध सके ऐसे शुभ संकल्प से यहां तीन प्रसंग पेश किये हैं। "
लेखिका : प.पू. अचलगच्छाधिपति श्री की आज्ञावर्तिनी सा. श्री वसन्तप्रभाश्रीजी की शिष्या सा. श्री चारुधर्माश्रीजी
जहाँ नमस्कार वहां चमत्कार
मैंने संवत् 2030 में कच्छ- वांढ में पूज्य सा. श्री वसंतप्रभाश्रीजी म.सा. का परिचय होने पर प्रतिदिन नवकार मंत्र की एक पक्की माला गिनने की प्रतिज्ञा ली। नवकार की यह माला गिनने में शुरुआत में तो मैं केवल आदेश की पालना मात्र करता । मेरा पुण्य योग कहो या नवकार का प्रभाव कहो- मेरा धार्मिक शिविरों में भाग लेने का पुण्य जगा ।
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