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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - सकता। हमारी बाड़ी की कुत्ती बिमारी के कारण खा-पी नहीं सकती थी, किन्तु मेरी भावना हुई कि वह ठीक हो जाए तो अच्छा, ऐसी भावना के साथ नवकार समझने का प्रारंभ किया। मैं नवकार पूरा नहीं कर सका। थोड़े दिनों बाद वह मर गई। भोंकने से उसके गले में सड़न हो गई थी। आयुष्य ज्यादा न हो या पुण्य मजबूत न हो तो उसे बचाना मुश्किल है। __एक श्राविका ने अपनी दीक्षा के पहले मुझे खुजली दूर करने के लिए पानी मंत्रित कर देने को कहा था। मैंने पानी पकड़कर पूरा नवकार समझकर पानी उन्हें दिया कि सुधार दिखाई दिया। जिससे दूसरी बार पानी | मंगवाया और अच्छा हो गया। मैंने एक हरिजन की योग्यता देखकर उसे जीवन के रहस्य समझाये। उससे उसका जीवन नीति एवं धर्ममय बन गया। एक नास्तिक गिने जाते हाईस्कूल के हेडमास्टर को उनके शास्त्र के आधार पर नवकार की समझ दी, तो वे महा-आस्तिक बन गये हैं। एक हाईस्कूल की मुख्य शिक्षिका को सिद्ध अवस्था समझाने से उन्हें सिद्ध बनने की उत्सुकता उत्पन्न हुई। नवकार को समझने का सीखने से कइयों के जीवन बदल गये हैं। मंदबुद्धि वाले की बुद्धि में वृद्धि हुई है। सद्बुद्धि हो गयी है। जिनको धार्मिक क्रियाएं अरुचिकर लगती थीं, उन्हें रस से भरी हुई लगने लगी हैं। ऐसे कलियुग में पवित्र बनने के लिए आस्तिक बनने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह वास्तव में बड़े से बड़ा चमत्कार लगता है। जरुरी है, उन्हें सहायता देने की। नवकार के भावगुणों के बारे में समझाने की व्यवस्था हो जाये, तो कइयों का कल्याण हो जाए। लेखक - श्री मोहनलाल धनजी फुरिया मु.पो. लायजा मोटा,तहसील, मांडवी-(कच्छ) पिन : 370475 पठान के भूत पर नवकार का प्रभाव . सं. 2042 की बात है। हम चातुर्मास से थोड़े दिन पूर्व मुम्बई के एक गाँव में गये थे। वहाँ लगभग 45 वर्ष की उम्र के एक कच्छी जैन 114
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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