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निसीहज्झयणं
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उद्देशक २०: सूत्र ४१-४४ ४१. चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए चातुर्मासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः ४१. चातु
अणगारे अंतरा मासियं परिहारद्वाणं अनगारः अन्तरा मासिकं परिहारस्थानं अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा पाक्षिकी परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना पक्खिया आरोवणा आदी । आरोपणा आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य मज्झेवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं सकारणम् अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, अहीणमतिरित्तं, तेण परं अपंचमा परम् अर्धपंचमाः मासाः।
कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। मासा॥
न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। जिसे संयुक्त करने पर साढ़े चार मास की प्रस्थापना होती है।
४२. अड्डपंचमासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अर्धपंचममासिकं परिहारस्थानं
अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं प्रस्थापितः अनगारः अन्तरा मासिकं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा । परिहारस्थानं प्रतिसेव्य आलोचयेत् पक्खिया आरोवणा आदी अथापरा पाक्षिकी आरोपणा मज्ञवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु सकारणम् अहीणमतिरित्तं, तेण परंपंच मासा॥ अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं पंच
मासाः।
४२. सार्द्ध-चातुर्मासिक परिहारस्थान में
प्रस्थापित अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। जिसे संयुक्त करने पर पांच मास की प्रस्थापना होती है।
४३. पंचमासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए पाञ्चमासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः ४३. पाञ्चमासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं अनगारः अन्तरा मासिकं परिहारस्थानं अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा । प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा पाक्षिकी परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना पक्खिया आरोवणा आदी आरोपणा आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतुं करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य मज्झेवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं । सकारणम् अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, अहीणमतिरित्तं, तेण परं अद्धछट्ठा परम् अर्धषष्ठाः मासाः।
कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। मासा॥
न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। जिसे संयुक्त करने पर साढ़े पांच मास की प्रस्थापना होती है।
४४. अद्धछट्ठमासियं परिहारट्ठाणं अर्धषष्ठमासिकं परिहारस्थानं
पट्टविए अणगारे अंतरा मासियं प्रस्थापितः अनगारः अन्तरा मासिक परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा परिहारस्थानं प्रतिसेव्य आलोचयेत् अहावरा पक्खिया आरोवणा आदी । अथापरा पाक्षिकी आरोपणा मज्झेवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु सकारणम् अहीणमतिरित्तं, तेण परं छम्मासा॥ अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं षण्मासाः।
४४. सार्द्धपाञ्चमासिक परिहारस्थान में
प्रस्थापित अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। जिसे संयुक्त करने पर छह मास की प्रस्थापना होती है।