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उद्देशक २०: सूत्र ३०-३३
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निसीहज्झयणं पक्खियारोवणा-पदं
पाक्षिक्यारोपणा-पदम्
पाक्षिकी आरोपणा-पद ३०. छम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए पाण्मासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः ३०. पाण्मासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं अनगारः अन्तरा मासिकं परिहारस्थानं अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा पाक्षिकी परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना पक्खिया आरोवणा आदी आरोपणा आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य मज्ञवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं सकारणम् अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, अहीणमतिरित्तं, तेणं परं दिवड्डो व्यधौ (अर्धद्वितीयौ) मासौ।
कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। मासो॥
न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। उसके बाद पुनः मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करने पर डेढ़ मास की आरोपणा प्राप्त होती है।
३१. पंचमासियं परिहारट्टाणं पट्टविए पाञ्चमासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः ३१. पाञ्चमासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं अनगारः अन्तरा मासिकं परिहारस्थानं अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा पाक्षिकी परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना पक्खिया आरोवणा आदी आरोपणा आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य मज्ञवसाणे सअटुं सहेडं सकारणं सकारणम् अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, अहीणमतिरित्तं, तेणं परं दिवड्डो व्यौं (अर्धद्वितीयौ) मासौ।
कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। मासो।।
न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। उसके बाद पुनः मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करने पर डेढ़ मास की आरोपणा प्राप्त होती है।
३२. चाउम्मासियं परिहारढाणं पट्टविए चातुर्मासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः
अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं अनगारः अन्तरा मासिकं परिहारस्थानं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा पाक्षिकी पक्खिया आरोवणा आदी आरोपणा आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु मज्झेवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं सकारणम् अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं अहीणमतिरित्तं, तेणं परं दिवड्रो ड्यौं (अर्धद्वितीयौ) मासौ। मासो॥
३२. चातुर्मासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, कारणसहित पाक्षिकी आरोपणा दी जाए। न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। उसके बाद पुनः मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करने पर डेढ़ मास की आरोपणा प्राप्त होती है।
३३. तेमासियं परिहारहाणं पट्ठविए त्रैमासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः ३३. त्रैमासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अणगारे अंतरा मासियं परिहारहाणं अनगारः अन्तरा मासिकं परिहारस्थानं अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य मासिक पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा पाक्षिकी परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना पक्खिया आरोवणा आदी आरोपणा आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य मज्ञवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं सकारणम् अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित,