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________________ सोलसमो उद्देसो : सोलहवां उद्देशक मूल संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद सेज्जा -पदं १. जे भिक्खू सागारियं सेज्जं अणुपविसति, अणुपविसंतं वा सातिज्जति॥ शय्या-पदम् शय्या-पद यो भिक्षुः सागारिकां शय्याम् १. जो भिक्षु सागारिक शय्या में अनुप्रविष्ट अनुप्रविशति, अनुप्रविशन्तं वा स्वदते। होता है अथवा अनुप्रविष्ट होने वाले का अनुमोदन करता है। २.जे भिक्खू सोदगं सेज्जं उवागच्छति, यो भिक्षुः सोदकां शय्याम् उपागच्छति, २. जो भिक्षु सोदक शय्या के समीप जाता है उवागच्छंतं वा सातिज्जति॥ उपागच्छन्तं वा स्वदते। अथवा समीप जाने वाले का अनुमोदन करता है। ३. जे भिक्खू सागणियं सेज्जं अणुपविसति, अणुपविसंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः साग्निकां म् अनुप्रविशति, अनुप्रविशन्तं वा स्वदते। ३. जो भिक्षु साग्निक शय्या में अनुप्रविष्ट होता है अथवा अनुप्रविष्ट होने वाले का अनुमोदन करता है। उच्छु-पदं ४. जे भिक्खू सचित्तं उच्छु भुंजंति, भुंजंतं वा सातिज्जति॥ इक्षु-पदम् यो भिक्षुः सचित्तम् इक्षु भुङ्क्ते, भुञ्जानं वा स्वदते। इक्षु-पद ४. जो भिक्षु सचित्त इक्षु खाता है अथवा खाने वाले का अनुमोदन करता है। ५. जे भिक्खू सचित्तं उच्छु विडसति, विडसंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः सचित्तम् इहूं 'विडसति' ५. जो भिक्षु सचित्त इक्षु को स्वाद लेकर खाता (विदशति), 'विडसंतं' (विदशन्तं) वा है अथवा स्वाद लेकर खाने वाले का स्वदते। अनुमोदन करता है। ६. जे भिक्खू सचित्तं अंतरुच्छुयं वा यो भिक्षुः सचित्तम् अन्तरिक्षुकम् वा उच्छुखंडिय वा उच्छुचोयगं वा इक्षुखंडिकां वा इक्षु चोयगं' वा इक्षु मेरगं' उच्छुमेरगं वा उच्छुसालगं वा वा इक्षु सालकं' वा इक्षु डगलं' वा उच्छुडगलं वा भुंजति, भुंजंतं वा भुङ्क्ते, भुञ्जानं वा स्वदते। सातिज्जति॥ ६. जो भिक्षु सचित्त अन्तरेक्षु, इक्षुखण्ड, इक्षुचोयग, इक्षुमेरक, इक्षुशालक अथवा इक्षुडगल को खाता है अथवा खाने वाले का अनुमोदन करता है। ७. जे भिक्खू सचित्तं अंतरुच्छुयं वा उच्छुखंडिय वा उच्छुचोयगं वा उच्छुमेरगं वा उच्छुसालगं वा यो भिक्षु सचित्तम् अन्तरिक्षुकं वा इक्षुखंडिकां वा इक्षु'चोयगं' वा इक्षु मेरगं' वा इक्षुसालगं' वा इक्षु डगलं' वा ७. जो भिक्षु सचित्त अन्तरेक्षु, इक्षुखण्ड, इक्षुचोयग, इक्षुमेरक, इक्षुशालक अथवा इक्षुडगल को स्वाद लेकर खाता है अथवा
SR No.032459
Book TitleNisihajjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size16 MB
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