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निसीहज्झयणं ५०.जे भिक्खू नितियं पसंसति, पसंसंतं
वा सातिज्जति॥
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उद्देशक १३: सूत्र ५०-५९ यो भिक्षुः नैत्यिकं प्रशंसति, प्रशंसन्तं वा ५०. जो भिक्षु नैत्यिक की प्रशंसा करता है स्वदते।
अथवा प्रशंसा करने वाले का अनुमोदन करता है।
५१.जे भिक्खू संसत्तं वंदति, वंदंतं वा
सातिज्जति॥
यो भिक्षुः संसक्तं वन्दते, वन्दमानं वा स्वदते।
५१. जो भिक्षु संसक्त को वन्दना करता है
अथवा वन्दना करने वाले का अनुमोदन करता है।
५२.जे भिक्खू संसत्तं पसंसति, पसंसंतं
वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः संसक्तं प्रशंसति, प्रशंसन्तं वा स्वदते।
५२. जो भिक्षु संसक्त की प्रशंसा करता है
अथवा प्रशंसा करने वाले का अनुमोदन करता है।
५३. जे भिक्खू काहियं वंदति, वंदंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः काथिकं वन्दते, वन्दमानं वा ५३. जो भिक्षु काथिक को वन्दना करता है स्वदते।
अथवा वन्दना करने वाले का अनुमोदन करता है।
५४. जे भिक्खू काहियं पसंसति, पसंसंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः काथिकं प्रशंसति, प्रशंसन्तं वा स्वदते।
५४. जो भिक्षु काथिक की प्रशंसा करता है
अथवा प्रशंसा करने वाले का अनुमोदन करता है।
५५. जे भिक्खू पासणियं वंदति, वंदंतं
वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः प्राश्निकं वन्दते, वन्दमानं वा स्वदते।
५५. जो भिक्षु प्राश्निक को वन्दना करता है
अथवा वन्दना करने वाले का अनुमोदन करता है।
५६. जे भिक्खू पासणियं पसंसति, यो भिक्षुः प्राश्निकं प्रशंसति, प्रशंसन्तं वा ५६. जो भिक्षु प्राश्निक की प्रशंसा करता है पसंसंतं वा सातिज्जति॥ स्वदते।
अथवा प्रशंसा करने वाले का अनुमोदन करता है।
५७. जे भिक्खू मामायं वंदति, वंदंतं वा
सातिज्जति॥
यो भिक्षुः मामाकं वन्दते, वन्दमानं वा ५७. जो भिक्षु मामाक को वन्दना करता है स्वदते।
अथवा वन्दना करने वाले का अनुमोदन करता है।
५८.जे भिक्खू मामायं पसंसति, पसंसंतं
वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः मामाकं प्रशंसति, प्रशंसन्तं वा ५८. जो भिक्षु मामाक की प्रशंसा करता है स्वदते।
अथवा प्रशंसा करने वाले का अनुमोदन करता है।
५९. जे भिक्खू संपसारयं वंदति, वंदंतं
वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः सम्प्रसारकं वन्दते, वन्दमानं वा स्वदते।
५९. जो भिक्षु संप्रसारक को वन्दना करता है
अथवा वन्दना करने वाले का अनुमोदन करता है।