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टिप्पण
१. सूत्र १-९
भिक्षु के लिए निर्देश है कि वह कामदेव के मंदिर, शून्यगृह, दो दीवारों या घरों के बीच का प्रच्छन्न स्थान (संधिस्थल) में अकेला अकेली स्त्री के साथ न खड़ा रहे और न संलाप करे। ये संदेहास्पद स्थान होते है। यहां खड़े होकर बात करने से देखने वाले गृहस्थ अथवा अन्य मुनि को उस भिक्षु, उस स्त्री अथवा दोनों के प्रति शंका हो सकती है।
प्रस्तुत आलापक में यात्रीगृह, आरामगृह यावत् महाकुल एवं महागृह-इन छायालीस स्थानों का उल्लेख हुआ है, जहां अकेले भिक्षु को अकेली स्त्री के साथ रहने, स्वाध्याय करने, अशन, पान. आदि खाने, उच्चार आदि का परिष्ठापन करने एवं किसी प्रकार की अनौचित्यपूर्ण वार्ता करने का प्रायश्चित्त प्रज्ञप्त है। ब्रह्मचर्य की सुरक्षा की दृष्टि से भिक्षु कान, नाक आदि अवयवों से रहित, सौ वर्ष की वृद्धा नारी से भी बचे, स्त्री के शरीरमात्र (अचित्त प्रतिमा) से भी बचे-यह आवश्यक है। भाष्यकार ने कहा है
अवि मायरं पि सद्धि, कथा तु एगागियस्स पडिसिद्धा। किं पुण अणारयादी, तरुणित्थीहिं सह गयस्स।
अकेले भिक्षु को माता के साथ धर्मकथा करना भी प्रतिषिद्ध है तो तरुणी स्त्रियों के साथ अनार्य आदि कथाओं की तो बात ही
३. उद्यानगृह और उद्यानशाला-उद्यान में बने कुड्य युक्त आवास उद्यानगृह और कुड्य रहित आवास उद्यानशाला कहलाते हैं।
४. निर्याण और निर्याण गृह-राजा आदि के निर्गमन का स्थान या नगर का निर्गमन स्थान निर्याण और वहां बने हुए घर निर्याणगृह कहलाते हैं।
६.निर्याणशाला-निर्याण-स्थानों में बने कुड्य रहित आवास।
७. अट्ट-प्राकार या प्रासाद के ऊपर का घर, अटारी (सैन्य गृह)।
८. अट्टालक-नगर-प्राकार का एक देश, झरोखा, युद्ध करने का बुर्ज।
९. प्राकार-परकोटा।
१०.चरिका-किले और नगर के बीच का आठ हाथ प्रमाणमार्ग।
११. गोपुर-प्रतोलिका द्वार। १२. दकमाग-जलाशय में पानी आने का मार्ग। १३. दकपथ-लोग पानी लेने जाएं, वह पथ।१२ १४. दकतीर-जलाशय का तट (निकटवर्ती स्थान)।३ १५. दकस्थान-जलाशय, तालाब आदि। १६,१७. शून्यगृह, शून्यशाला-सूना घर", सूनी शाला।
१८,१९. भिन्नगृह, भिन्नशाला-खण्डहर-गृह, खण्डहरशाला।५
२०. कूटागार-अधो विशाल, ऊपर-ऊपर संवर्धित होने वाले विशेष प्रकार के भवन ।१६
२१. कोष्ठाग्गर-धान्य-भंडार । १७ ९. वही-पागारस्स अहो अट्ठहत्थो रहमग्गो चरिया। १०. वही-बलाणगं दारं, दो बलाणगा पागारपडिबद्धा । ताण अंतरं गोपुरं। ११. वही-दगवाहो दगमग्गो। १२. वही-जेण जणो दगस्स वच्चति, सो दगपहो। १३. वही-दगब्भासं दगतीरं। १४. वही-सुण्णं गिहं सुण्णागारं । १५. वही-देसे पडियसडियं भिन्नागारं । १६. वही-अधो विसालं, उवरुवरि संवड्डितं कूडागारं । १७. वही-धन्नागारं कोट्ठागारं।
क्या?
शब्द विमर्श
१. यात्रीगृह, आरामगृह, गृहपतिकुल, परियावसथ (आश्रम)-द्रष्टव्य-निसीह. ३/१ का टिप्पण।
२. उद्यान-वह स्थान, जहां लोग उद्यानिका (गोठ) करने हेतु जाते हैं या नगर का निकटवर्ती स्थान । १. उत्तर. १/२६ २. दसवे. ८/५५ ३. वही, ८/५३ ४. निभा. गा. २३४४ ५. वही, भा. २, चू.पृ. ४३३-उज्जाणं जत्थ लोगो उज्जाणियाए
वच्चति । जं वा ईसिणगरस्स उवकंठं ठियं तं उज्जाणं। ६. वही-रायादियाण णिग्गमणट्ठाणं णिज्जाणिया, णगरणिग्गमे जं ठियं
तं णिज्जाणं । एतेसु चेव गिहा कया उज्जाण-णिज्जाणगिहा। ७. पाइय.. ८. निभा. २, चू.पृ. ४३३-नगरे पागारो तस्सेव देसे अट्टालगो।