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मूल
मालिया -पदं
१. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा भिंडमालियं वा मयणमालियं वा पिच्छमालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालियं वा संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमालियं वा बीजमालियं वा हरियमालियं वा करेति, करेंतं वा सातिज्जति ।।
२. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडिया तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा भिंडमालियं वा मयणमालियं वा पिच्छमालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालियं वा संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमालियं वा बीजमालियं वा हरियमालियं वा धरेति, धरेंतं वा सातिज्जति ।।
३. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा भिंडमालियं वा मयणमालियं वा पिच्छमालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालियं वा संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा
सत्तमो उद्देसो : सातवां उद्देशक
संस्कृत छाया
मालिका-पदम्
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया तृणमालिकां वा मुञ्जमालिकां वा वेत्रमालिकां वा 'भिण्ड' मालिकां वा मदनमालिकां वा पिच्छमालिकां वा दन्तमालिकां का श्रृंगमालिकां वा शंखमालिकां वा 'हड्ड' मालिकां वा काष्ठमालिकां वा पत्रमालिकां वा पुष्पमालिकां वा फलमालिकां वा बीमालिकां वा हरितमालिकां वा करोति, कुर्वन्तं वा स्वते ।
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया तृणमालिकां वा मुञ्जमालिकां वा वेत्रमालिकां वा 'भिण्ड' मालिकां वा मदनमालिकां वा पिच्छमालिकां वा दन्तमालिकां वा श्रृंगमालिकां वा शंखमालिकां वा 'हड्ड' मालिकां वा काष्ठमालिकां वा पत्रमालिकां वा पुष्पमालिकां वा फलमालिकां वा बीजमालिकां वा हरितमालिकां वा धरति, धरन्तं वा स्वदते ।
यो भिक्षुः मातृग्रामस्य मैथुनप्रतिज्ञया तृणमालिकां वा मुञ्जमालिकां वा वेत्रमालिकां वा 'भिण्ड' मालिकां वा मदनमालिकां वा पिच्छमालिकां वा दन्तमालिकां वा श्रृंगमालिकां वा शंखमालिकां वा 'हड्डू'मालिकां वा काष्ठमालिकां वा पत्रमालिकां वा
हिन्दी अनुवाद
मालिका पद
१. जो भिक्षु स्त्री को हृदय में स्थापित कर अब्रह्म- सेवन के संकल्प से तृणमालिका, मूंजमालिका, वेत्रमालिका, भेंडमालिका, मदनमालिका, पिच्छमालिका, दंतमालिका, शृंगमालिका, शंखमालिका, अस्थिमालिका, काष्ठमालिका, पत्रमालिका, पुष्पमालिका, फलमालिका, बीजमालिका अथवा हरितमालिका करता है (बनाता है) अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है।
२. जो भिक्षु को हृदय में स्थापित कर अब्रह्मसेवन के संकल्प से तृणमालिका, मूंजमालिका, वेत्रमालिका, भेंडमालिका, मदनमालिका, पिच्छमालिका, दंतमालिका, शृंगमालिका, शंखमालिका, अस्थिमालिका, काष्ठमालिका, पत्रमालिका, पुष्पमालिका, फलमालिका, बीजमालिका अथवा हरितमालिका को धारण करता है अथवा धारण करने वाले का अनुमोदन करता है।
३. जो भिक्षु स्त्री को हृदय में स्थापित कर अब्रह्म- सेवन के संकल्प से तृणमालिका, मूंजमालिका, वेत्रमालिका, भेंडमालिका, मदनमालिका, पिच्छमालिका, दंतमालिका, शृंगमालिका, शंखमालिका, अस्थिमालिका, काष्ठमालिका, पत्रमालिका, पुष्पमालिका, फलमालिका, बीजमालिका अथवा