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________________ उद्देशक ५: टिप्पण ११६ निसीहज्झयणं मुखवस्त्रिका, निषद्या आदि अन्य औधिक उपकरणों के विषय में भी आदि भारी वस्तु रख दी जाए अथवा कोई उस पर आधा या पूरा यही विधि ज्ञातव्य है। बैठ जाए, लेट जाए, उस पर सिर रख ले तो उन उपर्युक्त प्राणियों की २१. सूत्र ७६-७८ विराधना से संयमविराधना भी संभव है। सोते या बैठते समय ___रजोहरण पर बैठना, सोना, उसे सिरहाने लगाना सूत्र में प्रतिषिद्ध रजोहरण की फलियों को नीचे की ओर करके दाहिनी ओर रखना है। अतः ऐसा करने से आज्ञाभंग, अनवस्था आदि दोष आते हैं। विधिसम्मत है। सोते या बैठते समय रजोहरण को वाम पार्श्व में रखना, रजोहरण शब्द विमर्श दशा (फलियों) को ऊपर की ओर रखना, पैरों के पास रखना उस्सीसमूले-चूर्णिकार ने इसका अर्थ उपशीर्षमूल-मस्तक अथवा आगे-पीछे रखना अनुज्ञात नहीं है। प्रमार्जन करते समय के सहारे रखना किया है।' उस्सीस का संस्कृत रूप उच्छीर्ष किया रजोहरण में कांटे, सचित्त रजें अथवा चींटी आदि सूक्ष्म प्राणी भी जाए तो उसका अर्थ होता है तकिया। मूल का अर्थ है-पास । अतः लग सकते हैं। यदि उन्हें पृथक किए बिना रजोहरण पर मोटी पुस्तक उच्छीर्षमूल का अर्थ है-तकिए के पास। ४. बही-सीसस्स वा उक्खंभणं उसीसं, ट्ठवणं निक्खेवो। ५. पाइय. १. निभा. गा. २१८८ २. वही, गा. २१९२,२१९३ ३. वही, भा. २ चू.पृ. ३७०-तम्हा णिवण्णो णिसण्णो वा दाहिणपासे अधोदसं करेज्जा।
SR No.032459
Book TitleNisihajjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size16 MB
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