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ज्योतिष एवं मणित
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उपपत्ति
___ (क) से स= {(ग - १) च + २मुई
ग = ४९, च-८, मु=५ वर्गों के स्थानपर अंक संख्या रख देनेसे
_ ={" x ८+ ५}४९ ५ सूत्र--संकलित धन निकालनेका अन्य नियम--
पदवग्गं चयपहदं दुगुणिदगच्छेण गुणिदमुहजुत्तं ।
वड्ढिहदपदविहीणं दलिदं जाणिज्ज संकलिदं ॥२-७६ अर्थ-पदके वर्गको चयसे गुणा करके उसमें दुगुणित पदसे गुणित मुखको जोड़ देने पर जो राशि उत्पन्न हो उसमेंसे चयसे गुणित पद प्रमाणको घटाकर शेषको आधा कर देने पर प्राप्त हुई राशिके प्रमाण संकलित धन होता है। ___ गणित सूत्र-(पद x चय) + (पद x २४ मुख)-(चय x पद) संकलित धन
उदाहरण-पद १३, चय ८, मुख २९२ अतः (१३२४८) + (१३ ४२४ २९२)- . (८४१३) ४४२० उपपत्ति(क) स= {(ग- १)च + मु}
___= (गxच - + २मु)ग
-गxच+गx२xम-चxग
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६ सूत्र-संकलित धन निकालनेका अन्य प्रकार
पदवग्गं पदरहिदं चयगुणिदं पदहदादिजुदमद्धं । ___मुहदलपहदपदेणं संजुत्तं होदि संकलिदं ॥२-८१
अर्थ-पदके वर्ग से पदके प्रमाणको घटाकर अवशिष्ट राशिको चय प्रमाणसे गुणा करना चाहिए । पश्चात् इसमें पद गुणित आदिको जोड़नेपर जो योगफल हो उसके आधेमें मुखके अर्धभागसे गुणित पदको जोड़ देनेके संकलित धन होता है । गणित सूत्र{(पद-पद)x चय + (पद x आदि)} .
1-संकलित धन
+ (पद X आदि)} + ( आदि x पद ) – संकलित धन
/ आदि
-Xपद