SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 418
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७. ज्योतिष एवं गणित त्रिभुज अ. स१ स सा अथवा क्षेत्रफल = /य (य - अ) (य - ब) (य-स), यहाँ य भुजाओंके योगकी आधो राशि है और अ, ब, स, त्रिभुजको भुजाएँ है । गणितसार संग्रहमें त्रिभुजको Properties का पूरा विवेचन आया है। उदाहरणार्थ अ ब स सक वत्तगत त्रिभुज है और अ ई उसका लम्ब है, तो वत्तके व्यासके लिए निम्न. लिखित सूत्र प्रयुक्त होता है। व्यास = 4 = अ ब + बस यहां ज्ञातव्य है कि व्यापीय त्रिभुजों और चतुर्भुजोंके पतर (Plane) त्रिभुज और चतुर्भुजोंके नियम व्यवहृत किए गए हैं । हाथी दांतका क्षेत्रफल एवं सूच्याकार क्षेत्रोंके क्षेत्रफल आनयनमें मौलिक प्रतिभाके दर्शन होते हैं । गणितसार संग्रहमें [१] वर्ग [२] आयत (३) द्विसम चतुर्भुज और (४) त्रिसम चतुर्भुज और (५) विषम चतुर्भुज, इस प्रकार पांच तरहके चतुर्भुजोंका उल्लेख मिलता है। सामान्यतः चतुर्भुज क्षेत्रफल निम्न प्रकार सिद्ध होता है । अ ब स द चतुर्भुजके अ ब = अ, ब स = ब, स द = स, अद-द इस स्थितिमें स्थूल फल = अ + स - ब+द २ यहाँ यह स्मरणीय है कि उक्त फल तभी ठीक होगा, जब चतुर्भुज वर्ग या आयत हो । अन्य स्थितियोंमें उक्त फल भ्रामक भी हो सकता है । सूक्ष्म मानके लिए निम्न सूत्र उपलब्ध हैं :(१) चतुक्षेत्र = V(स-अ) (स-ब) (स-से) (स-द); यहाँ स = परिमितिकी अर्द्धराशि तथा अब स द भुजाओंके माप हैं। (२) चतुक्षेत्र - (व+द)
SR No.032458
Book TitleBharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy