________________
श्री दिगम्बर जैन मन्दिर कृष्णा नगर दिल्ली का इतिहास - एक नजर में
श्री मन्दिर जी का शिलान्यास 28 जनवरी 1972 तथा 10 सितम्बर 1972 को एक अस्थाई कमरा बना कर दो प्रतिमायें श्री महावीर भगवान एवं पार्श्वनाथ भगवान की स्व० श्री मित्रसैन जी के सहयोग से बर्फखाना सब्जीमंडी के मन्दिर जी से लाकर अस्थाई विराजमान की गई। उस समय के संस्थापक सदस्य सर्वश्री धर्मवीर जैन, पूरण चन्द्र जैन, अजित प्रसाद जैन, मदन लाल जैन, चन्द्र प्रकाश जैन, सलेख चन्द्र जैन, प्रेमचन्द्र जैन, महीपाल सिंह जैन, सनत कुमार जैन, सुभाष चन्द्र जैन, प्रधुमन कुमार जैन, वीरेन्द्र कुमार जैन, अशोक कुमार जैन, आर० के० जैन, एवम् राजेन्द्र प्रसाद जैन थे। इनके आर्थिक सहयोग से तथा कर्मठता से चैत्यालय की स्थापना हो पायी । 28 फरवरी 1974 को चैत्यालय में श्री सिद्धचक्र विधान का पाठ आयोजित किया गया जिसका समापन एक चमत्कारिक ढंग से सम्पन्न हुआ। प्रत्यक्षदर्शी इसके साक्षी हैं। इसके पश्चात् भी अनेकों चमत्कार इस क्षेत्र में देखे गये। 12 मई 1974 को नीचे के हाल का शिलान्यास किया गया तथा शिखर बंद श्री मन्दिर जी का निर्माण अनेकों कार्यकर्ताओं तथा अनेकों बंधुओं के आर्थिक सहयोग से सम्पन्न हुआ। 14 फरवरी से 19 फरवरी 1980 को वेदी प्रतिष्ठा के माध्यम से श्री महावीर भगवान की अतिशयमयी प्रतिमा मूल नायक के रूप में प्रतिष्ठित हो गयी। पहली मंजिल पर स्थाई वेदी में भगवान विराजमान होने पर दर्शनार्थीयों का तांता लग गया। पहली मंजिल के हाल में कांच का काम भी करा दिया गया जिससे वह कांच का मन्दिर कहलाने लगा। समाज के बुजुर्गों को ध्यान में रखते हुये नीचे के इनमें छोटी वेदी का निर्माण करा दिया गया तथा पंच कल्याणक मार्च 1995 में उपाध्याय श्री गुप्तिसागर जी महाराज के सान्निध्य में कराया गया जिसे प० गुलाब चन्द्र 'पुष्प' के द्वारा वि
विधान से सम्पन्न कराया। इसी बीच श्री मन्दिर जी के बराबर में एक अतिथि भवन का निर्माण भी हो चुका था । यह भवन बहुत छोटा था इस कारण से बराबर में समाज ने और जगह लेकर तीन मंजिल का अतिथि भवन जिसमें 10-10 कमरे सुव्यवस्थित ढंग से
xviii