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________________ जैन श्रमण : स्वरूप और समीक्षा केशी और ऋषभ के एक ही पुरुषवाची होने के उक्त प्रकार से अनुमान कर लेने के पश्चात् अनायास ही दृष्टि ऋग्वेद की एक ऐसी ऋचा पर पड़ती है जिसमें वृषभ और केशी का साथ-साथ उल्लेख आया है - ऋचा निम्न है 44 "ककर्दवे वृषभो युक्त आसीद् । अवावचीत सारथिरस्य केशी । दुधर्युक्तस्य द्रव्रतः सहानस । ऋच्छन्ति मा निष्पादो मुद्गलानीम् ।। ऋग्वेद 10,102,6 जिस सूक्त में यह ऋचा आयी है उसकी प्रस्तावना में निरुक्त के जो मुदगलस्य हृता गावः " आदि श्लोक उद्धृत किये गये हैं, उनके अनुसार मुद्गल ऋषि की गौवों को चोर चुरा ले गये थे, उन्हें वापिस करने के लिए ऋषि ने केशी वृषभ को अपना सारथि बनाया, जिसके वचन मात्र से वे गौएँ आगे न भागकर पीछे की और लौट पड़ी। प्रस्तुत ऋचा का भाष्य करते हुए सायणाचार्य ने पहले तो वृषभ और केशी का वाच्यार्थ पृथक् बतलाया है किन्तु फिर प्रकारान्तर से उन्होंने कहा है " 'अथवा अस्य सारथिः सहायभूतः केशी प्रकृष्ट केशो वृषभः अवावचीत् भ्रशमशब्दयत्" इत्यादि । सायण के इसी अर्थ को तथा निरुक्त के उक्त कथा-प्रसंग को भारतीय दार्शनिक परम्परा को ध्यान में रखते हुए गाथा का यह अर्थ भी प्रतीत होता है मुद्गल ऋषि के सारथी (विद्वान नेता ) केशी वृषभ जिनका अरिदमन स्वरुप था, तो जब उनकी वाणी खिरी तो उसके फलस्वरुप जो मुद्गल ऋषि की गौवें (इन्द्रियाँ) जुते हुए दुर्धर रथ (शरीर ) के साथ दौड़ रही थीं, वे निश्चल होकर मौद्गलानी ( मुद्गल की स्वात्मवृत्ति) की ओर लौट पड़ीं। तात्पर्य यह कि मुद्गल ऋषि की जो इन्द्रियाँ पराङ्मुखी थीं वे उनके उक्त ज्ञानी नेता के थी, वृषभ के धर्मोपदेश को सुनकर अन्तर्मुखी हो गयीं । इस प्रकार केशी और वृषभ या ऋषभ के एकत्व का स्वयं ऋग्वेद से ही पूर्णतः समर्थन हो जाता है। इसी सम्बन्ध में ऋग्वेद के शिश्नदेवों (नग्नदेवों) वाले उल्लेख भी ध्यान देने योग्य हैं। (ऋग्वेद 7, 21, 5, 10, 99,3) इस प्रकार ऋग्वेद में उल्लिखित वातरशना मुनियों के निर्ग्रन्थ साधुओं तथा उन मुनियों के नायक केशी मुनि का ऋषभदेव के साथ एकीकरण हो जाने से जैनधर्म की प्राचीनता की सिद्धि पर बहुत अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
SR No.032455
Book TitleJain Shraman Swarup Aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogeshchandra Jain
PublisherMukti Prakashan
Publication Year1990
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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