________________
सन्दर्भ सूची
191. सीओदगं न सेवेज्जा सिलावुट्ठे हिमाणि य ।
उसिणोदगं तत्र फासूयं पडिगाहेज्ज संजए।। दशवैकालिक 8/6
192. मूलाचार 5 / 13
193. उत्तराध्ययन 2/4-5
194. मूलाचार गा. 421 ( ज्ञानपीठ प्रकाशन ); उत्तरा 24/11-12 195. पगदा असओ जमा तमादो दव्वदोति तं दव्वं ।
फासुगमिदि सिद्धेवि य अप्पट्ठकदं असुद्धं तु ।। 485 ।। जमच्या पदे मददये मच्छया हि मज्जति ।
हि मंडूगा एवं परमट्ठकदे जदि विसुद्ध ।। 486 ।। मूलाचार
196. मूलाचार 10/43, 6/68
197. वही 10/31-32
198. वही- 10/29
199. दिगम्बर मुनि - पृ. 26 (आर्यिका ज्ञानमती )
200. कार्तिकेयानुप्रेक्षा - द्वितीय तृतीया वा भूमि : सा मालारोहमित्युच्यते - गा. 449 पृ.
338 (राजचन्द आश्रम प्रकाशन )
201. मूलाचार गा. 425 से 444 तक के आधार पर
202. मूलाचार गा. 445 से 461 के आधार पर
203. मूलाचार 6/3; दशवैकालिक 10/4
204 भिक्षुविचार दर्शन पृ. 12 ( भिक्षु यश रसायण ढाल 5, गा. 15-16 )
205. भ. मू. 4/95-500 व अन. ध. के आधार पर
206. अन. ध. 9 / 94, 96
207. लिंग पाहुड़ गा. 13
208. रा. वा. 9/6/597/29
209. मोक्षमार्ग प्रकाशक पृ. 184 (6 वां अध्याय) देखें
210. स्यणसार 23
-
211. मू. आ. 491 212. मूलाचार 5 / 153 213. प्र. सा. / मू. 229 ----- 214 औपपातिक सूत्र 19
9/92
15. मू. आ. 492; अन. घ. 16. मू. आ. 482
1
विहि दि
217. म.पु. 20/86-87; पु.सि. उ. 169; चा. सा. 26/3 पर उद्धवसु. श्री. 225 का. अ. पं. जयचन्द्र- 360; दानशासन अ. 5
275
----
अपरिपूर्णोदरे यथालब्धः ।
218. रा. वा 7/39/4/559 / 29 गुण. श्री. 15, पु. सि. उ. श्लोक 169, सा.ध. 5/47 219. भ. आ.वि. 1206 /1204