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प्राकृत भाषा प्रबोधिनी कल्लं (कल्यम्) कल (आने वाला) णाणा (नाना) अनेक कह, कहं (कथम्) कैसे
णूणं, णूण (नूनम्) निश्चय कहि, कहिं (कुत्र) कहाँ
णो (नो) निषेध कया (कदा) कब, किस समय तए, ताहे (तदा) तब किणा, किण्णा, किणो (किन्नु) प्रश्न तओ, तत्तो, ततो (ततः) इसके बाद किर, किल, इर, हिर (किल) निश्चय तत्थ, तहिं, तहि (तत्र) वहां केवच्चिरं, केवच्चिरेण (कियच्चिरम् । तह, तहा (तथा) उस तरह कियच्चिरेण) कितनी देर से परसुवे (परश्वः) परसों आने वाला केवलं (केवलम्) सिर्फ
परिओ (परितः) चारों ओर खलु, खु, हु (खलु) निश्चय, वितर्क, परोप्परं, परुप्परं (परस्परम्) आपस में संभावना, विस्मय
पायो, पाओ (प्रायः) बहुधा चिअ, च्च, चेअ, जेव, ज्जेव, ज्जेव, पुण, पुणो (पुनः) फिर जेव्व (एव) निश्चय ही
पुणरुत्तं-किए हुए को बारंबार करना जइ (यदि) जो
पुणरवि (पुनरपि) फिर भी जओ (यतः) क्योंकि
पुरओ (पुरतः) आगे, सम्मुख जत्थ (यत्र) जहाँ
पुरत्था (पुरस्तात्) आगे, सम्मुख जह, जहा (यथा) जैसे
पुरा (पुरा) पहले जहेव (यथैव) जिस प्रकार से पुहं, पिहं (पृथक्) अलग जं (यत्) जो, क्योंकि
पेच्च (प्रेत्य) परलोक में जाव (यावत्) जब तक
बहिं (बहिः) बाहर जे, इ, र-पादपूरक
भुज्जो (भूयः) बार-बार तिरियं (तिर्यक्) तिरछा
मणयं (मनाक्) थोड़ा तीअं (अतीतम्) बीता हुआ मणे, मण्णे (मन्ये) वितर्क उ तु (तु) किन्तु
मुसा (मृषा) झूठ दर-आधा, थोड़ा
समं (समम्) साथ दिवारत्तं (दिवारात्रम्) दिन रात सम्मं (सम्यक्) भली प्रकार