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२०१. फासूयमग्गेण दिवा, जुगंतरप्पेहिणा सकज्जेण ।
जंतुण परिहरंते- णिरियासमिदी हवे गमणं ॥ ९ ॥
कार्यवश दिन में प्रासुकमार्ग से (जिस मार्ग पर पहले से आवागमन शुरू हो चुका हो ) चार हाथ भूमि को आगे देखते हुए, जीवों की विराधना बचाते हुए गमन करना ईर्या-समिति है । अर्थात् विवेकपूर्वक चलना ईर्ष्या-समिति है ।
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૨૦૧. કોઈ કામ અંગે દિવસે પ્રાસુકમાર્ગ (જે માર્ગ પર અવરજવર પહેલેથી થઈ રહી હોય) ચાર હાથ જમીતને આગળ જોઈને તથા જીવોતી વિરાધતાથી બચીને ચાલવું, તેને ઈર્યા સમિતિ उहे छे. अर्थात् विवेऽथी यालपुं धर्या -समिति छे.
201. For the purpose of certain work, during day time, on pre used path (A path where already movement of public has taken place), if one walks keeping his eye fixed on the road surface ahead, up to four. feet, to avoid crushing of small moving-crippled insects, is called Irya Samiti i.e. walking with utmost care presence of mind and sense proportion.
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२०२. पेसुण्णहासक क्कस - परणिदाप्पप्पसंसा - विकहादी । वज्जित्ता सपरहियं, भासासमिदी हवे कहणं ॥ १० ॥
पैशुन्य, हास्य, कर्कश-वचन, परनिन्दा, आत्मप्रशंसा, विकथा (स्त्री, राज आदि की विकारवर्धक कथा) का त्याग करके स्वपर हितकारी वचन बोलना ही भाषा समिति है । अर्थात् विवेकपूर्वक बोलना भाषा समिति है ।
२०२. पैशुन्य, हास्य, उठोर वयन, परनिंद्या, खात्मप्रशंसा, विझ्या વગેરેતો ત્યાગ કરીને સ્વ-પર હિતકારી વાણી (ભાષા) તે भाषा समिति छे. अर्थात् विवेऽथी बोलवु लाषा समिति छे.
GLORY OF DETACHMENT
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