Disclaimer: This translation does not guarantee complete accuracy, please confirm with the original page text.
The translation preserving the Jain terms is as follows:
The Śrī Sūtrakṛtāṅga Sūtra says that those who are Pārśvasthās (heretics), Mithyādṛṣṭis (those with false beliefs), and Anāryās (non-noble ones), are immersed in Kāmas (sensual pleasures), just like Pūtanā (a demoness) is attached to the young child.
The commentary explains that those who consider non-celibacy as faultless, are defeated by the Strīpariṣaha (the affliction of women) and stand apart from the path of virtue. They are the followers of the Nāthavāda sect. The term 'tu' (but) indicates that some of their own group also follow this doctrine, though they have a false and perverted understanding of the truth. They are far removed from all the condemnable virtues and hence are called Anāryas (non-noble ones) due to their conduct opposed to Dharma. Such individuals are deeply engrossed in sinful indulgences in Kāmas (sensual pleasures) or activities driven by Kāmas.
The analogy given is that just as Pūtanā (a demoness) was attached to the young child, similarly these Anāryas are attached to sensual pleasures. Alternatively, the term 'Pūyaṇa' refers to a ewe that is excessively attached to its offspring. In the same way, these individuals are attached to their sense objects.
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श्री सूत्रकृताङ्ग सूत्रम् एव मेगे उ पासत्था, मिच्छदिट्ठी अणारिया ।
अज्झोववन्ना कामेहिं, पूयणा इव तरुणए ॥१३॥ छाया - एव मेके तु पार्श्वस्थाः मिथ्यादृष्टयोऽनार्याः ।
___ अध्युपपन्नाः कामेषु पूतना इव तरुणके ॥
अनुवाद - वे पुरुष पार्श्वस्थ है-धर्म मार्ग से विमुख है, मिथ्यादृष्टि है-इनकी श्रद्धा या आस्था असत्य पर टिकी हुई है, वे अनार्य है-अधम कर्मयुक्त है, काम भोग में अध्युपन्न-आसक्त हैं, जैसे पूतना-डाकण बालों पर आसक्त रहती है-अपना विषाक्त स्तनपान कराकर मार डालती है ।
टीका - 'एव' मिति गण्डपीडनादिदृष्टान्तबलेन निर्दोषं मैथुनमिति मन्यमाना 'एके' स्त्रीपरीषह पराजिताः सदनुष्ठानात्पार्श्वे तिष्ठन्तीति पार्श्वस्था नाथवादिकमण्डलचारिणः, तुशब्दात् स्वयूथ्या वा, तथा मिथ्या-विपरीता तत्त्वाग्राहिणी दृष्टि:-दर्शनं येषां ते यथा, आरात्-दूरे याता-गताः सर्वहेयधर्मेभ्य इत्यार्याः न आर्या अनार्याः धर्मविरुद्धानुष्ठानात्, त एवंविधा 'अध्युपपन्ना' गृध्नव इच्छामदनरूपेषु कामेषु कामैर्वा करणभूतैः सावद्यानुष्ठानेष्विति, अत्र लौकिकं दृष्टान्तमाह-यथा वा 'पूतना' डाकिनी 'तरुणके' स्तनन्धयेऽध्युपपन्ना, एवं तेऽप्यनार्याः कामेष्विति, यदिवा 'पूयण'त्ति गड्डरिका आत्मीयेऽपत्येऽध्युपपन्ना, एवं तेऽपीति, कथानकं चात्रतथा किल सर्वपशूनामपत्यानि निरूदके कूपेऽपत्य स्नेहपरीक्षार्थं क्षिप्तानि, तत्र चापरा मातरः स्वकीयस्तनन्धयशब्दाकर्ण नेऽपि कूपतटस्था रूदन्त्यस्तिष्ठन्ति, उरभ्री त्वपत्यातिस्नेहेनान्धा अपायमनपेक्ष्य तत्रैवात्मानं क्षिप्तवतीत्ययोऽपरमशुभ्यः स्वापत्येऽध्युपपन्नेति, एवं तेऽपि ॥१३॥ कामाभिष्वङ्गिणां दोषमाविष्कुर्वन्नाह -
___टीकार्थ - जो फोड़े को दबाकर उसका मवाद निकालने के समान अब्रह्मचर्य को निर्दोष मानते हैं वे धर्म विमुख पुरुष स्त्री परिषह से पराजित हैं-हार चुके हैं, वे सत् अनुष्ठान-उत्तम कार्य से दूर हैं । वे नाथ आदि शब्दों द्वारा अभिहित किये जाने वाले मण्डल में विचरणशील हैं । यहां 'तु' शब्द का जो प्रयोग हुआ है, वह सूचित करता है कि कतिपय स्वयूथिक अपने परम परावृति किन्तु धर्म विमुख जन इस सिद्धान्त का अनुसरण करते हैं । उनकी दृष्टि वस्तु के यथार्थ स्वरूप को ग्रहण नहीं करती, विपरीत रूप को ग्रहण करती है । वे मिथ्या दृष्टि हैं ।
जो पुरुष समस्त हेय-त्याग योग्य धर्मों से दूर रहता है उसे आर्य कहा जाता है । पहले जिन मतवादियों का उल्लेख हुआ है वे आर्य नहीं है, अनार्य है क्योंकि वे धर्म विरुद्ध आचरण करते हैं । ऐसे-इस प्रकार के सिद्धान्तों में विश्वास करने वाले पुरुष काम वासना एवं भोग में अत्यन्त आसक्त हैं, अथवा वे काम भोगों द्वारा पाप पूर्ण अनुष्ठान या आचरण में संलग्न हैं, इस सम्बन्ध में एक लौकिक-लोक प्रसिद्ध दृष्टान्त है । जैसे पूतना डाकण स्तनपायी बालकों पर आसक्त रहती है उसी तरह वे अनार्यजन काम भोगों में आसक्त रहते हैं, अथवा पूतना भेड़ का भी नाम है । जैसे एक भेड़ अपने बच्चों पर आसक्त-विमोहित रहती है, उसी तरह वे अनार्य जन विषय भोगों में विमोहित रहते हैं । भेड़ अपने बच्चों पर किस प्रकार आसक्त रहती है इस सम्बन्ध में एक कथानक है । किसी समय जानवरों के सन्तति विषयगत प्रेम की परीक्षा करे हेतु उन सभी के बच्चों को ऐसे कुएँ में रख दिया गया जिसमें पानी नहीं था उस समय उन बच्चों की माताएं कुएँ के तट पर खड़ी
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