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यत्स्थिति
जघन्य संक्रम स्वामी गुणस्थान १३ वां गुणस्थान
अन्तर्मुहूर्त
परिशिष्ट ]
क्रम| प्रकृति नाम | उत्कृष्ट स्थिति सं यस्थिति | उत्कृष्ट संक्रम | जघन्य स्थिति कर्म प्रकृति
स्वामी गुण संक्रम प्रमाण सेवात संहनन आव.द्विकहीन , आव.हीन २०को.को.सा. पहला गुण. अन्तर्मुहूर्त आद्यसंस्थान पंचक ,, त्रिकहीन ,, ,, द्विकहीन ,, | हुंडक संस्थान ,, द्विकहीन ,, ,, हीन ,, ३९ | शुभवर्णादि एकादश ,, त्रिकहीन ,, , त्रिकहीन ,,
उदयावलिहीनान्तर्मुहूर्त नीलवर्ण तिक्तरस ,, त्रिकहीन ,, शेष अशुभवर्णादि ,, द्विकहीन , , द्विकहीन ,
सप्तक शुभविहायोगति ,, त्रिकहीन ,, | ,, द्विकहीन ,, अशुभविहायोगति , द्विकहीन ,, ,, हीन ,
त्रस चतुष्क स्थिर षष्टक
, द्विकहीन ,
,, त्रिकहीन ,, ,, द्विकहीन ,,
स्थावर
, हीन,
पल्या संख्य
९वां गुणस्थान
अन्तर्मुहूर्तहीन पल्या |
संख्य भाग
भाग
,, त्रिकहीन ,
, द्विकहीन ,,
सूक्ष्म २.. अपर्याप्त
अन्तर्मुहूर्त
१३ वां गुणस्थान
उदयावलिकाहीन
अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्तहीन पल्या
संख्य भाग
साधारण
पल्या संख्य
| ९वां गुणस्थान
भाग
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