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________________ १८६ ] [ कर्मप्रकृति इक्यावन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है । इस स्थान में सभी पद प्रशस्त होते हैं, इस कारण एक ही भंग होता है । पुनः शरीरपर्याप्ति से पर्याप्त जीव के प्रशस्तविहायोगति और पराघात के मिलाने पर तिरेपन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है, यहां पर भी एक ही भंग होता है । तत्पश्चात् प्राणापानपर्याप्ति से पर्याप्त जीव के उच्छ्वास के मिलाने पर चउवन प्रकृतिक उदीरणा स्थान होता है। यहां पर भी एक ही भंग होता है । अथवा शरीरपर्याप्ति से पर्याप्त जीव के उच्छ्वास के उदय नहीं होने पर और उद्योत का उदय होने पर चउवन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। यहां पर भी पूर्व के समान एक ही भंग होता है। इस प्रकार चडवन प्रकृतिक उदीरणास्थान में भंगों की सर्व संख्या दो है। भाषापर्याप्ति से पर्याप्त जीव के उच्छ्वास सहित ५४ प्रकृतिक उदीरणा स्थान में सुस्वर प्रकृति के मिलाने पर ५५ प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है । यहां पर भी पूर्व की तरह एक ही भंग होता है । अथवा प्राणापानपर्याप्ति से पर्याप्त जीव के पचपन प्रकृतिक में से सुस्वर के अनुदय होंने और उद्योत के उदय होने पर पचपन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है । यहां पर भी पूर्व की तरह एक ही भंग होता है। सर्व संख्या से पचपन प्रकृतिक उदीरणास्थान में दो भंग होते हैं । पुन: भाषापर्याप्ति के पर्याप्त जीव के स्वर सहित पचपन प्रकृतिक स्थान में उद्योत को मिलाने पर छप्पन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। यहां पर भी एक ही भंग है । इस प्रकार आहारकशरीरी संयत मनुष्यों के भंगों की सर्व संख्या सात [ १+१+२+२+१=७] होती है। सामान्य वैक्रियशरीरी और आहारकशरीरी मनुष्यों के स्थान और भंगों का प्रारूप इस प्रकार है - उदीरणा भंग स्थान वैक्रिय मनुष्य ४२ प्रकृतिक ५१ प्रकृतिक ५२ प्रकृतिक ५३ प्रकृतिक ५४ प्रकृतिक ५५ प्रकृतिक ५६ प्रकृतिक सामान्य मनुष्य स्वमत परमत X १४५ X ९ X २८९ X २८८ ५७६ २८८ ५७६ ५७६ ११५२ १३०२ २६०२ स्वमत X ४ X ४ ५ ५ १ १९ परमत ८ X ८ ९ ९ १ ३५ आहारक मनुष्य परमत स्वमत X १ X १ २ २ १ ७ X १ X १ २ २ १ ७ विशेष मनुष्यों में ४२ से ५६ प्रकृतिक तक के सात उदीरणास्थान होते हैं जिनमें ४२ और ५२ प्रकृतिक स्थान सामान्य मनुष्यों में ही पाये जाते हैं
SR No.032438
Book TitleKarm Prakruti Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year2002
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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