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आयुष्य
मोहनीय
नाम
वेदनीय
गोत्र
दर्शनावरणीय
अन्तराय
ज्ञानावरणीय
बन्धन करण सक्रमण करण उद्यव्रतान करण अपव्रताना करण उदीरणा करण उपशमना करण निघति करण निकाचना करण।
आचार्य श्री नानेश श्री शिवशर्मसूरि विरचित
कर्म प्रकृति
भाग-2 (मूल विवेचन-टिप्पण-परिशिष्ट युक्त)