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________________ द्वितीय स्पर्धक १९ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले १९ , २ , , , ५२० आत्मप्रदेशों की प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय चतुर्थ , ४९० " " " २०२० इस प्रकार द्वितीय स्पर्धक में २०२० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। तृतीय स्पर्धक २० करोड़ १ वीर्याविभाग वाले ४८० आत्मप्रदेशों की २० , २ , , , ४७० " " " २० , ३ " " " २० , ४ , , , प्रथम वर्गणा. द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , १८६० इस प्रकार तृतीय स्पर्धक में १८६० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। चतुर्थ स्पर्धक २१ करोड १ वीर्याविभाग वाले .४४० आत्मप्रदेशों की २१ ॥ २ ॥ ॥ ॥ ४३० , , , ° " " " २१ ॥ ४ ॥ ॥ ॥ ४१० " " " प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , - १७०० इस प्रकार चतुर्थ स्पर्धक में १७०० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। पंचम स्पर्धक २२ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले ४०० आत्मप्रदेशों की २२ , २ , , , २२ , ३ ॥ ॥ ॥ ३८० " " " २२ , ४ , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , १५४० इस प्रकार पंचम स्पर्धक में १५४० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। छठा स्पर्धक २३ करोड १ वीर्याविभाग वाले ३६० आत्मप्रदेशों की . २३ , २ , ३५० , , .२३ , ३ , , , ३४० , , , २३ , ४ , , , ... ३३० , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ ॥ :१३८० इस प्रकार छठे स्पर्धक में १३८० आत्मप्रदेशों की चार वर्षणायें।
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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