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भगवान
श्री रामसेनाचार्य
रामसेन नामक जिनधर्ममें कई भट्टारक व विद्वान हुए हैं पर उसमेंसे तत्त्वानुशासन रचयिता श्री रामसेनाचार्य अपनी विशुद्धिकी दीप्तिको प्रद्योत करनेवाले थे।
आपने अपनी गुरु परम्परा बताते स्वयम्ने लिखा है जिससे ज्ञात होता है कि 'वीरचन्द्र, शुभदेव, महेन्द्रदेव और विजयगुरु ये आपके विद्यागुरु थे। पुण्यमूर्ति एवं उच्चकोटिके चरित्रधारी कीर्तिमान नागसेन
आपके दीक्षागुरु थे। श्री रामसेनाचार्यक विद्यागुरु महेन्द्रदेव वे नेमिदेवके शिष्य और
श्री सोमदेवजीके बडे गुरुभाई थे। आपके चतुर्थ शास्त्रगुरु विजयदेव थे।
आप सेनसंघी आचार्य थे, ऐसा सेनसंघकी पट्टावलियोंसे ज्ञात होता है।
___ आपने एक मात्र 'तत्त्वानुशासन' ग्रंथ रचा है।
आपका समय ई.स.की ११वीं शताब्दीका उत्तरार्ध पश्चात्का प्रतीत होता है।
श्री रामसेनाचार्य भगवंतको कोटि कोटि वंदन।
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