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भिक्खु दृष्टांत ११५. समदृष्टि किणहि कह्यौ-भीखणजी थे नै अन्य सम्प्रदाय वाळा सर्व एक होय जावौ । जब स्वामीजी बोल्या-महाजन, कुंभार, जाट, गूजर, सर्व एक थावौ कै नहीं?
जद ऊ बोल्यौ-म्हे तो एक न थावां। यांरी जाति ईज और है।
जद स्वामीजी बोल्या-ए पिण मूळगा मिथ्यात्वी है। गाजीखां मुल्लाखां रा साथी है।
तिण पूछ्यो-गाजीखां मुल्लाखां कुण थया ?
ज़द स्वामीजी कह्यौ-एक ब्राह्मण-ब्राह्मणी प्रदेश गया। त्यां ब्राह्मण माल मोकळो कमायो। केतले एक काळे ब्राह्मण आऊखौ पूरी कीधौ । जद ब्राह्मणी पठाण रा घर मै पैठी। दोय पुत्र थया। एकण रौ नाम गाजीखां, दूजा रौ नाम मुल्लाखां दीयौ । केतले एक काळे पठाण पिण काळ कर गयौ । जद ब्राह्मणी सर्व धन-पुत्र लेई देश आई। माल देख नै न्यातिला घणां आय भेळा हुवा । कोई भूवाजी कहै, कोई काकीजी कहै।
हिवै ब्राह्मणी कहै-डावडां नै जनेउ द्यौ। जीमणकर घणां ब्राह्मणां ने जीमाया । जनेउ देवा पुत्रां नै हेलौ पाड्यौ--आव रे बेटा गाजीखां, आव रे बेटा मुल्लाखां!
नाम सुण ब्राह्मण कोप कर बोल्या-हे पापणी! अ काई नाम ? ब्राह्मणां रा नाम तौ श्रीकृष्ण, कै रामकृष्ण, कै हरिलाल, कै रामलाल, के श्रीधर इत्यादिक हुवै। अनै एह तो मुसलमान रा राम है । कटारी काढ नै बोल्या-साच बोल ए किण रा पेट रा है। नहीं तौ तोनई मारसां । नै म्हेई मरसां।
जद आ बोली-मारौ मती । सर्व बात मांड ने कही। ए तौ पठाण रै पेट रा है।
जद ब्राह्मण बोल्या हे पापणी ! म्हाने भिष्ट कीया। अब गंगाजी जाय सिनांन, माटी रा लेपै करी शुद्ध थासां।
__ जद आ बोली-वीरा ! यां दोन डावरां मैंई तीर्थ ले जायनै सुद्ध करौ । सो फेर ब्रह्मभोज करनै जिमातूं।
जद ब्राह्मण बोल्या-एह तो पठाण रा पेट रा मूल गा इ असुद्ध छै सो सुद्ध किम हुवै। म्है तो मूल का सुद्ध छां। थारौ अन्न खाधौ, तिणसूं तीर्थ जाय सुद्ध होस्यां पिण अ मूलगा असुद्ध है ते सुद्ध किम हुवे ।
भीखणजो स्वामी कह्यौ--कोई साध नै दोष लागां प्राछित लेई सुद्ध
१. ओ बी बगतरी सामाजिक स्थिति रो चित्रण है । जैन परम्परा जातिवाद री समर्थक
कद ही कोनी रही।