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दृष्टांत : ३७-३९
जद स्वामीजी पूछ्यौ--दिख्या रा धसका सूं तोनै ताव न चढ्यौ है क । जद तिण कह्यौ-मन मै आइ तो खरी। जद स्वामीजी कह्यौ-यू धसको पड़े तो दिख्या रौ तौ काम जावजीव
रौ है।
३७. जमाई रोवा लाग जावै जद खैरवा रो चतुरो साह स्वामीजी ने कह्यौ-महाराज ! साधपणा रा भाव उठे है । जद स्वामीजी कह्यौ- थारौ हीयो काचौ है । घर रा पुत्रादिक रोवै जद थे ई रोवा लाग जावौ तौ पछै काम कठण ।
जद त्यां कह्यौ-आंसू तौ आय जावै । ___ जद स्वामीजी कह्यौ-सासरै आणौ लेवा जमाई जाय जद स्त्री तौ रोवै । पिण उणरै देखादेख जमाई रोवा लाग जावै जद लोकां मै मूंडी लागै । ज्यू साधपणी लेवै जरे उणरा न्यातीला रोवै ते तो आपरै स्वार्थ । पिण उणरी देखा-देख दिख्या लेणवालौ रोवा लाग जावै तौ बात विपरीत ।
३८. थारो धणी किणसू मूवो ? पीपार मै स्वामीजी गोचरी पधाऱ्या । एक बाई इम बोली-भीखणजी री श्रद्धा लीधी तौ उणरौ धणी मर गयो।
जद स्वामीजी बोल्या : बाई ! तं ही बालक इज दीसै। थारो धणी किणसं मूवो ? तूं तो भीखणजी री निंदा करै है।
जद और बायां बोली-भीखणजी ए हीज छै ए हीज। तिवारे लचकाणी पड़ने घर मै न्हास गई।
३९. डेरो मिल्या किसौ ज्ञान आय जावै ? आऊवा मै उत्तमौजी ईरांणी बोल्यौ-भीखणजी थे देवरा निषेधौ छौ पिण आगै तो बड़-बड़ा लखेसरी कोड़ेसरी त्यां देवळ कराया। ... जद स्वामीजी बोल्या-थांरा घरै पचास हजार रौ डैरौ थयां थे देवळ करावौ के नहीं।
जद ते बोल्यौ-हूं करायूँ ।
जद स्वामीजी पूछ्यौ-थामैं जीवरा भेद, गुणठांणा, उपयोग, जोग, लेश्या किती?
जद ते बोल्यौ-या तौ मोनै खबर नहीं। ___ जद स्वामीजी बोल्या- इसा समझणा आग ई हला। डेरौ मिल्यां किसौ ज्ञान आय जावै?