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प्रकाशकीय
"तेरापन्थ का राजस्थानी वाङमय' ग्रन्थमाला का आठवां पुष्प "भिक्खु दृष्टांत" आचार्य भिक्षु के कतिपय जीवन प्रसंगों का सुन्दर संकलन है। इस तृतीय संस्करण में मुनिश्री मधुकरजी ने सरल एवं सर्व ग्राह्य राष्ट्र भाषा में सांगोपांग प्रस्तुति दी है जिससे प्रत्येक व्यक्ति को वास्तविक सन्दर्भ में दृष्टांतों के लक्ष्य को समझने में सुगमता रहेगी। गणाधिपति पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ के निर्देशन में सम्पादित यह ग्रन्थ और भी ग्राह्य बन गया है। जैन विश्व भारती इस ग्रन्थ को प्रकाशित कर गौरव का अनुभव कर रही है।
आशा है पाठकवृन्द के लिए यह ग्रन्थ रूचिप्रद व ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
जैन विश्व भारती, लाडनूं (राज.) दिनांक-१७.६.१९९४
झूमरमल बैंगानी
मंत्री