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हेभ दृष्टांत तब टीकमजी बोले-भीखणजी ऐसा कहते हैं और हम ऐसा कहते हैं यह कहकर झूठ बोलकर काम निकाला।
३. मेरे से क्या चर्चा करते हो ? भारीमालजी स्वामी के बाबे का बेटा भाई। उसका नाम था डूंगरसी । वह अमरसिंहजी की सम्प्रदाय में साधु बना। वह सिरियारी आया। उसका आकार, शरीर, भारमालजी स्वामी जैसा लगता था। हेमजी स्वामी उससे चर्चा पूछने लगे, तब वह बोला-मैं तो भारमालजी का भाई हूं, मेरे से चर्चा क्या करते हो ?
तब हेमजी स्वामी बोले-ठीक है तुम्हारे से चर्चा नहीं करूंगा । उत्तम पुरुषों का नाम और शरण लेने पर उससे चर्चा नहीं की।
४. क्या समझकर बतलाया ? (हेमजी स्वामी) पाली में टीकमचन्दजी के पास चर्चा करने गये । स्थानक में मकोड़े को चलते देखकर उनका सवाई नामक साधु बोला-हेमजी ! मकोड़ा........ मकोड़ा........... ___ तब टीकमजी बोले- हेमजी ! इसने तुमको मकोड़ा बतलाया, इसको क्या
हुआ?
___ तब हेमजी स्वामी ने कहा- मुझे पाप से बचाने के लिए बताया या मकोड़े पर मोह आ गया इसलिए बताया ?
टीकमजी बोले- हेमजी को पाप लगेगा, यह समझकर पाप से बचाने के लिए बतलाया।
तब हेमजी स्वामी ने सवाई से पूछा- तुमने क्या समझकर बतलाया ? 'मकोड़ा बेचारा मर जाएगा' यह समझकर बतलाया क्या ?
तब सवाई बोला-मैंने तो बेचारा मकोड़ा मर जाएगा, यह समझकर बतलाया। ___ तब हेमजी स्वामी ने टीकमजी से कहा- तुम दूसरों के बदले में झूठ क्यों बोलते हो? यह तो कहता है --मकोड़े के लिए और तुम कहते हो पाप से बचाने के लिए, इस हिसाब से यह झूठ क्यों बोला ? इस प्रकार निरुत्तर कर स्थान पर आए।
५. हेमजी चर्चा करोगे? हेमजी स्वामी ने दीक्षित होने के बाद चर्चा की, वह इस प्रकार है --सं० १९५५ में भिक्षु १ भारमल २ खेतसीजी ३ और हेमजी स्वामी ४ । इन चार साधुओं ने पाली में चातुर्मास किया। उसके बाद श्रावण मास में केलवे के चपलोत उदरामजी ने पाली में आकर दीक्षा ली, तब ५ साधु हुए । हेमजी स्वामी और उदरामजी 'लोढ़ा के वास' में गोचरी गए। मुकन दांती ने कहा-गुरुजी को कहो कि टीकमजी से चर्चा करे। तब हेमजी स्वामी ने कहा-टीकमजी का मन हो तो मेरे से ही चर्चा करो। तब मुकन दांती ने कहा -तुम टीकमजी से चर्चा करोगे ?
मुनि हेमजी-हां करने का विचार है ।