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दृष्टांत : ९-११
२६५ तो म्हारी अनै दोय रोटी थांरी, इम सींजारै पुन्य करां, थारो भरोसो काई बदळ जावौ तौ।
९. लाडू देई भाटौ उरहो लीयो, उणनै कांई थयो ?
बीलारा मै जेठा डफरिया नै भेषधार्या कह्यौ-कोई छोहरौ भाठा सूं कीड़ यां मारतौ थौ, तिणनै लाडू देई भाठौ उरही लीयौ उणनै कांई, थयौ ?
जद जेठौजी बोल्या-यूं मत कहौ यूं कहौ । माथा मै टाकर नी दीधी नै भाठौ उरहौ लियौ वले दूजी वेला मारे नहीं, इण मै कांई थयौ ? ___ लाडू दीयां तौ वले मारै जांण फेर लाड़ देसी। पिण टाकर नी दीधी, तिण नै कांई थयौ ? जद कष्ट होय गया।
१०. थां बिचे म्हे वधता ठहर्या फेर जेठौजी ने भेषधाऱ्या कह्यौ-दौ रुपीया देई बकरौ छोड़यौ उणनै कांई थयौ ? . जद जेठौजी बोल्यौ-म्हे तो पांच रुपीया देई नै पिण छोडाय देवां। थांरा मूंहढ़ा आगै दस बकरा मारै नै एक पछेबड़ी दीधां वौ तौ 'दसूई बकरा पहरा छोडूं' इम कहै तौ थे देवौ के नहीं ?
जद कहै-म्हे तो कोई देवां नहीं, म्हारौ मारग नहीं । ___जद जेठौजी बोल्यौ-औ तौ धर्म म्हारै कनै तौ छै अनै थारै कनै औ धर्म नहीं, इण लेखै थां विचे म्हे वधता ठहर्या इण धर्म री थारे छेटी परी। इम कही कष्ट कीधा।
११. कर्म कितरा !
सं० १८६४ देवगढ़ मै आसकरणजी रौ चेलौ चुतरोजी कनै आयनै कहैमोनै चरचा पूछौ।
जद चुतरोजी बोल्या-थांनै कांई चरचा पूछां ? जद ऊ बोल्यौ-कांयक तौ पूछौ । जद चुतरोजी बोल्या-थारै कर्म कितरा? जद ऊ बोल्यो-म्हारै कर्म बार है। जद चुतरोजी पूछ्यौ-किसा-किसा?
जद उण दोय तीनेक नाम बताय नै बोल्यो-आगै तो कोई आवै नहीं। पछै ऊ आसकरणजी कनै आयनै समाचार कह्या-म्हैं भीखणजी रा श्रावक सूं चरचा कीधी।
जद आसकरणजी पूछ्यौ-कांई चरचा कीधी ? जद उण कह्यौ-मोने पूछ्यौ-थारे कर्म कितरा ?