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भिक्खु दृष्टांत
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तो भी उनको छोड़ना उसके लिए सरल है। फूटी नौका के समान वेषधारी होते हैं उन्हें छोड़ना कठिन होता है + कोई चतुर बुद्धिमान होता है वही उन्हें छोड़ सकता है । ३०२. वह क्या साधुपन पालेगा ?
भूखे मरते हुए रोटी के लिए साधु का वेश पहन लेते हैं । उन्हें कहा जाए कि साधुपन अच्छा पालना । इस विषय पर स्वामीजी ने दृष्टांत दिया - पति के मरने पर उसकी स्त्री को रथी के बांध कर जलाते हैं और कहते हैं- सतीमाता ! तेजरा ( हर तीसरे दिन आने वाला ज्वर) दूर कर देना । वह क्या 'तेजरा' तोड़ेगी ? जो भूखे मरते हुए रोटी के लिए साधु का वेश पहनता है वह क्या साधुपन पालेगा ? ३०३. पकवान कड़बे बनाए
कुगुरु के पक्षपाती को साधु अच्छे नहीं लगते । इस विषय को समझाने के लिए स्वामीजी ने दृष्टांत दिया - एक ज्वरग्रस्त आदमी किसी जीमनवार में भोजन करने गया । वह दूसरे लोगों से कहने लगा- पकवान बहुत कड़वे बनाए । तब लोग बोलेहमें तो अच्छे लगते हैं । तुझे कड़वे लगते हैं तो पता चलता है कि तुम्हारे शरीर में ज्वर है ।
इसी प्रकार जिसमें मिथ्यात्वरूपी रोग होता है उसे साधु अच्छे नहीं लगते । ३०४. हम कार्तिक के ज्योतिषी हैं
किसी ने कहा- भीखणजी ! तुमने अपनी रची हुई गीतिकाओं में वेशधारी साधुओं के चारित्र की पहचान दी है, सो तुम्हें उसका कैसे पता चला ?
तब स्वामीजी बोले- हम आषाढ़ महीने के ज्योतिषी नहीं हैं । हम कार्तिक महीने ज्योतिषी हैं। जैसे आषाढ़ महीने का ज्योतिषी होता है, वह आगे कार्तिक में होने वाले अनाज का भाव बतलाता है ।
इसी प्रकार हमने भविष्य की दृष्टि से नहीं कहा है ।
कार्तिक महीने का ज्योतिषी जो भाव चलता है वही बताता है ।
इसी प्रकार हमने जो वर्तमान का आचरण देखा, वही बतलाया है ।
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३०५. जो मिथ्यात्व रोग को मिटाना चाहता है
जो मिथ्यात्वरूपी रोग को मिटाना चाहता है, उसे तत्त्वज्ञान और आचार संबंधी after अच्छी लगती हैं । इस विषय पर स्वामीजी ने दृष्टांत दिया - जैसे कोई वैद्य कहता है, 'तेजरा' मिटाने के लिए गोली लो । जो कोई तेजरा मिटाना चाहता है उसे वह 'गोली बहुत अच्छी लगती है ।
इसी प्रकार तत्त्वज्ञान और आचार संबंधी गीतिकाएं साधु और श्रावकों को तो प्रिय लगती ही हैं, किन्तु उसे विशेष प्रिय लगती है जो मिध्यात्वरूपी रोग को नष्ट करना चाहता है ।
३०६. निशाने पर चोट लगती है
मिथ्यात्व को मिटाने के लिए स्वामीजी हेतु, युक्ति और दृष्टांत देते हैं । तब किसी ने पूछा- आप इतने हेतु, युक्ति और दृष्टांत का प्रयोग क्यों करते हैं ?