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छम्बीस
राजस्थानो पृष्ठांक हिन्दी पृष्ठांक
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क्रमांक १७३. आंधा जीमण वाला आंधा इ परुसण वाला १७४. डांडां ही सूझ नहीं १७५. ढांकणी में उसार्यो १७६. दंड तो उ गाम देवं ईज है १७७. साहमी बोल जीसी १७८. औ पद सांचो के झूठो ? १७९. बिच बोलवा रौ काम हीज कांई ? १८०. एक भीखणजी स्वामी इज है १८१. खूचणो काढ तो तेलो १८२. नीद में हेठो पड़ जाऊं तो १८३. प्रकृति सुधारवा रौ उपाय १८४. छेहड़े जातां मोर्यो मारू १८५. इसा दृढ़धर्मी १८६. मोन निगै न पड़ी १८७. उपकार रै वास्ते १८८. आहार उनमान स्यूं द्यो १८९. आ तो रीत थेट री है १९०. थांरी आज्ञा री जरूरत नहीं १९१. मर्यादा बांधी १९२. दीक्षा दीधी तो संभोग भेळी नहीं १९३. दिख्या दीज्यो देख-देख १९४. संका रौ समाधान १९५. अपछंदापणौ सिरे नहीं १९६. सामजी और रामजी १९७. जो ठंडी रोटी छोडे ते लाड़ छोड़ दे १९८. सड़को क्यूं ? १९९. गुळ कुण ल्यायो २००. लिखज्यो मती २०१. थे पूछ्यो सो प्रश्न संभालो २०२. तीन घर बधावणा २०३. तिण सूं बरजै २०४. स्वामीजी बोल्या २०५. थाणे नहीं, खाणे वैसे है २०६. सारा एक होय जावी २०७. आ चरचा तो घणी झीणी है
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