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भिक्खु दृष्टांत इस प्रकार उन्हें समझा-बुझा चोरी के त्याग करवाए। चोर साधुओं का गुणग्राम कर रहे थे। उस समय प्रभात हो गया । इतने में दुकान का मालिक आ गया। दुकान को नमस्कार कर थोड़ा-सा साधुओं के चरणों में भी झुका। चोरों को देखकर पूछा-तुम कौन हो? वे बोले-हम चोर हैं। तुमने हुंडी भुगता कर हजार रुपयों की थैली भीतर रखी, उसे हम देख रहे थे । और रात में आ उसे लेने लगे। साधुओं ने हमें देखा और हमें समझा-बुझा कर चोरी का त्याग करवा दिया। भला हो इन साधुओं का। इन्होंने हमें बचा दिया, जो हम डूब रहे थे।
माहेश्वरी यह बात सुन साधुओं के चरणों में लुट गया और उनका गुण गाने लगा-मेरी दुकान में आप ठहरे, यह बहुत अच्छा हुआ । आपने मेरी थैली बचा ली।
यह धन यदि चोर ले जाते तो मेरे चार बेटे कुंभारे रह जाते । अब उन चारों को ब्याह दूंगा । यह आपका उपकार है।
माहेश्वरी ने ऐसा कहा पर साधुनों ने उसका धन बचाने के लिए चोरों को उपदेश नहीं दिया। उन्होंने चोरों का कल्याण करने के लिए उपदेश दिया था।
(२) बकरों को मारने वाला कसाई हाथ में छुरी लिए हुए साधुओं के पास आकर खड़ा हो गया । साधुओं ने पूछा--तुम कौन हो ?
तब वह बोला-मैं कसाई हूं। तब साधुओं ने पूछा-तुम्हारा क्या धन्धा है ?
तब वह बोला-- घर में बीस बकरे बंधे हुये हैं। उनके गले पर छुरी चला कर बेचूंगा।
तब साधुओं ने उसे उपदेश दिया-सेर भर अनाज के लिए ऐसा पाप करते हो ?
तब कसाई बोला-मुझे भगवान् ने कसाई के घर जन्म दिया है, इसलिए यह मेरा दोष नहीं।
तब साधु बोले भगवान् क्यों भेजेगा ? पहले ही तुमने बुरे कर्म किए इसलिए तुम कसाई के घर में जन्मे और फिर ऐसा कर्म करोगे तो तम्हारे लिए नरक तैयार है। इस प्रकार विभिन्न रूपों में साधुओं ने उसे समझाया और बकरों को मारने का यावज्जीवन प्रत्याख्यान करा दिया।
कसाई बोला - मेरे घर पर बीस बकरे बंधे हुए हैं। आप कहें तो उन्हें हरी घास खाने को डालूं और ठंडा पानी पिलाऊं ? आप कहें तो उन्हें भेड़ों और बकरियों के समूह में चराने को भेजूं ? आप कहें तो उनके कान में कड़ी डालकर बाजार में छोड़ दूं ? और आप कहें तो आपको लाकर सौंप दूं? आप उन्हें धोवन या गरम पानी पिलाना, सूखा चारा खिलाना । आप अपने बकरियों के समूह को अलग से चराने भेजना।
___ तब साधु बोले-तुम अपने प्रत्याख्यान की सुरक्षा करना, उसे अच्छे ढंग से पालना । इस प्रकार साधु उसे त्याग पालने का निर्देश देते हैं, पर बकरों की संभाल का निर्देश नहीं देते।
कसाई साधुओं का गुण गाता है -मेरी हिंसा छुड़ा दी। मुझे तार दिया। बकरे