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भिक्खु दृष्टांत १४१. भार नीचे ले जाता है सिरियारी की घटना है। वोरा खिवेसरा ने पूछा--नरक में जीव जाता है, उसे नीचे कौन खींचता है ?
__ स्वामीजी बोले-कोई कूए में पत्थर डालता है उसे नीचे कौन खींचता है ? वह स्वयं के भार से अपने आप नीचे तल तक चला जाता है। इसी प्रकार कर्म के भार से भारी बना हुआ जीव अपने आप नरक में चला जाता है ।
१४२. हल्कापन ऊपर लाता है बोरा खिवेसरा ने एक और प्रश्न पूछा-जीव देवलोक में जाता है, उसे ऊपर कौन ले जाता है ? ____तब स्वामीजी बोले- काठ को पानी के अंदर डालने पर वह ऊपर आ जाता है । उसे कोई ऊपर नहीं लाता। पर वह अपने हल्केपन के कारण ऊपर आकर तैरने लग जाता है। इसी प्रकार जीव भी कर्मों से हल्का होने पर अपने आप ऊपर देवगति में चला जाता है।
१४३. जीव भारहोन कैसे होता है ? किसी ने पूछा----जीव हल्का कैसे होता है ?
तब स्वामीजी बोले-पैसा पानी में डालने पर डूब जाता है और उसी पैसे को तपा, कूट-पीट कर उसकी कटोरी बना लेने पर वह तैरने लग जाती है । उस कटोरी में रखा हुमा पैसा भी तैरने लग जाता है। इसी प्रकार जीव तप, मंयम आदि के द्वारा हल्का हो जाता है । और हल्का होने के कारण वह तर जाता है ।
१४४. निन्दा करता है पर प्रगट नहीं होने देता कोई साधुओं की निन्दा करता है और अपनी चालाकी के कारण लोगों के सामने अपने आप को प्रगट नहीं होने देता। उस पर स्वामीजी ने दृष्टांत किया-किसी गांव में एक चुगलखोर रहता था। एक बार उस गांव में फोजो आए । उसने उन्हें लोगों के धन-धान्य की जानकारी दे दी। कुछ फोजी चले गए और कुछ फोजी वहीं ठहर गए। गांव के लोग बाहर भाग गए। कुछ लोग वापस आ गये। लोगों ने सुना कि चुगलखोर ने फोजियों को धन-धान्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने चुगलखोर को उलाहना दिया-अरे, तूने ऐसा काम किया ?
तब वह फोजियों को सुना कर बोला-यदि मैं फोजियों को जानकारी देता तो अमुक का धन वहां गड़ा हुआ है, अमुक का धन वहां गड़ा हुआ है और अमुक का धन वहां गड़ा हुआ है, यह सब बता देता । इस प्रकार चालाकी से उसने जो बाकी थे उनके धन की भी जानकारी दे दी। ... इसी प्रकार जो निन्दक चालाक होता है वह निन्दा करता. हुमा भी झूठ बोल कर अपने आपको निन्दा से अलग रख लेता है-निन्दक के रूप में प्रगट नहीं होने देता। .
१४५. उस समय तो हम थे ही नहीं कुछ लोग स्वामीजी को कहने लगे--ऐसी मान्यता तो कहीं भी नहीं सुनी । तुमने