SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८७ दृष्टांत : २२३-२२६ २२३. असुद्ध वासण में घो कुण घालै ? एक दिन हीरजी प्रश्न विपरीतपणे पूछवा लागौ । कहै--मोनें इणरो जाव देवौ। जद स्वामीजी बोल्या कोई भिष्टा सं भरीयौ ठीकरौ लेई आयो। कहै-इणमें मोनें घी तोल दो। तौ असुद्ध बासण मै घी कुण घालै ? ____ज्यं असुद्ध खोटौ विपरीत हुवै तिणनै शुद्ध जाब बतायां गुण दीसै नहीं। जिणसूं अबारू जाब न देवां । २२४. पोते गळं जद बस्त्र र रंग चढ़ावै वैरागी री वाणी सुण्यां वैराग आवै । तिण ऊपर स्वामीजी दृष्टंत दीयौ -कसूबो पोतै गळे जद वस्त्र रै रंग चढावै । पिण कसूबा री गांठ बांधै तो पिण वस्त्र र रंग न चढे पोते न गळ्यो तिण तूं। ___ ज्यू सुद्ध श्रद्धा आचारवंत वैरागी साधु पोते वैराग मै लीन हुआं और रे वैराग चढावै । ___२२५. सरधणा एक, फर्शणा जुदी कोई कहै-साध रौ धर्म और नै गहस्थ रौ धर्म और । जद स्वामीजी बोल्या-चोथा गुणठाणा री छठा गुण ठाणा री अनै तेरमा गुणठाणा री, श्रद्धा तो एक छै। अनै फर्शणा जुदी छै । काचा पांणी मै अपकाय रा असंख्याता जीव अनै नीलण रा अनंता जीव चोथा छठा तेरमां गुणठाणा वाळा सर्व सरधै परूपै । पिण फर्शणा मै फेर-चोथा पांचमां गुणठाणा रा धणी तौ पांणी रो आरम्भ करै है । अनै साधु रै त्याग है ए फर्शणा जुदी है। हिंस्या मै पाप चौथा पाचमां छठा तेरमां गुणठाणा वाळा सर्व सरधे परूपै। इण लेखै सरधणा तौ एक। अन चोथा पांचमां वाळा हिंस्या करै है अनै साधू रै हिंस्या रा त्याग है। ए फर्शणा जुदो है। पिण सरधणा जुदी नहीं। चौथा तेरमा गुणठाणा वाळा री सरधा एक छै । तेरमा गुणठाणा वाळा री श्रद्धा सूं चौथा गुणठाणा वाळा री श्रद्धा मैं फरक पड्यां चौथा गुणठाणा रौ पैहलै गुणठाणे आय जावै । २२६. बात नहीं, वतुओ प्यारो रोयट मै स्वामीजी सालभद्र रौ वखांण दीधौ, सो भाया सुणनै घणां राजी हुआ। स्वामीनाथ ! आगै सालभद्र रौ बखांण तौ घणी वार सुण्यौ,
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy