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भिक्खु दृष्टांत लापसी ल्याया सो थे पिण लेइ आवौ। जद साधां कह्यौ-म्हांनै तौ आरा मै जाणौ कल्पै नहीं। पछै साधां आयनै स्वामीजी ने समाचार कह्या जद स्वामीजी जाण्यों पाली जावां छां कोइ म्हारो नाम अणहंतो इज ले लेवै । इम विचारी नै भेषधारी कनै जाय पूछ यौ-थे आरा माहि थी लापसी ल्याया के नहीं ल्याया ? ___जद उवै बोल्या-थे क्यूं पूछौ, थारे म्हारे किसौ आहार पांणी भेळी
स्वामीजी बोल्या-थेइ पाली जावी हो अन म्हेई पाली जावां छां सो ल्याया तो होवो थे अनै कोई नाम लेवै म्हारौ इण वासते पूछां हां सो म्हारा पात्रा तो थे देख लेवौ अनै थांरा म्हांनै दिखाय देवौ।
जद तडकनै बोल्या--म्हैं ल्याया-ल्याया नै फेर ल्याया।
जद स्वामीजी बोल्या-तडकौ क्यूं यूं ज कहो नी म्हारै रीत है सो म्हे ल्याया। इम बुद्धि करि साच बोलाय ठिकाणे आया।
१९९. गुळ कुण ल्यायो ? स्वामी टोळा मै छतां दरजी रै गोचरी गया। जद दरजी बोल्योथारौ चेलौ काले गुळ ले गयौ सो आज दिन थांनै कल्पै कोइ नहीं ।
जद स्वामीजी ठिकाणे आयनै सर्व नै पूछ्यौ-काळे दरजी रौ गुळ कुण ल्यायौ ?
जब सर्व नट गया। जद स्वामीजी सर्व नै लेयनै दरजी रै घरे आया दरजी नै कह्यौ--गुळ ले गयौ ते यां माहिलौ कुंण? ।
जद दरजी एक छोटौ साध हुँतौ तिणनै बतायौ। जद स्वामीजी तिण नै जाण लीयौ एहिज गुळ ल्याय न नट गयौ दीसै
इम ठागा रौ झूठ रौ उघाड़ कर दीयो।
१००. लिखजो मती
पीपाड़ मै भेषधारयां रौ श्रावक मालजी स्वामीजी सूं चरचा करतां । स्वामीजी पूछ यौ-मालजी ! छव काय रा जीव खावै तौ कांइ हुवै । ___ जद तिण कह्यौ-पाप ह । वली पूछ यौ-खवायां कांइ ह ? तिण कह्यौ-पाप ह।
___ जद स्वामीजी बोल्या- भारमलजी स्याही गाळ नै लिखज्यौ-मालजी पाणी पायां पाप कहै है।
जद मालजी उतावळी बोलवा लागौ-म्हे पाणी पायां पाप कद कह्यौ ?