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स्वरूप-संबोधन-परिशीलन
परिशिष्ट-3
स्वरूप-सम्बोधन–पञ्चविंशतिः, अकलंकदेव (आचार्य), दो संस्कृत टीकाएँ, ब्रह्मचारिणी कल्पना जैन, श्री कुन्दकुन्द कहान दि. जैन तीर्थसुरक्षा ट्रस्ट, मुम्बई, 2004 |
स्वरूप-सम्बोधन–पञ्चविंशतिः, अकलंकदेव (आचार्य), कन्नड़ टीका, श्री महासेन पंडितदेव, संस्कृत टीका, केशववर्ण्य, डॉ. सुदीप जैन, श्री अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, अलवर 1995, प्रथम पुष्प |
लघीयस्त्रय, अकलंकदेव (आचार्य), श्री गणेशवर्णी दिगम्बर जैन संस्थान, वाराणसी, 2000, प्रथम संस्करण ।
क्षत्रचूड़ामणि, वादीभसिंह (आचार्य) ।
ज्ञानार्णव, शुभचन्द्र (आचार्य), श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास, 1998, सप्तम संस्करण ।
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