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- ४. विशेष शब्दकोश
अंग
अंबरियो अकनकुमारी अकबक अकलसरूपी अखरोट अडकवैध अडीक अणखावै अणतेड़ी अणां री अणी अतिशय अधृष्य अनपोहै अनयी अनागार अनिमेष अनुहार अपवाद अप्रतिबद्ध अबखो
शरीर आकाश जिसका कौमार्य व्रत अखण्ड हो, अविवाहित। व्यर्थ का प्रलाप, ऊलजलूल परमात्मा, जिसके स्वरूप का आकलन न हो। डिंगल काव्य का एक शब्दालंकार। नीम हकीम, अनाड़ी चिकित्सक। इंतजार, प्रतीक्षा
अप्रिय, असुहावना बिना बुलाई इनकी अंश मात्र अत्यधिक जिसका पराभव न हो सके। अकारण अन्यायी जिन नियमों के पालन में छूट न हो, साधु के व्रत। अपलक, देवता समान विशेष परिस्थिति में दी या ली जानेवाली छूट। प्रतिबंध रहित, बेरोकटोक विकट, कष्टप्रद
परिशिष्ट-४ / ३६७