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________________ ४/५ ४/५ ४/६ ४/७ ४/८ अन्तर ढाळ घोर तपसी हो मुनि ! घोर तपसी ! थांरो नाम उठ उठ जन भोर जपसी, हो मुनि..... घोर तपसी हो सुख ! घोर तपसी ! थांरो जाप जप्यां करमां री कोड़ खपसी, हो मुनि...ध्रुव. दो सौ बरसां री भारी ख्यात है बणी, थांरो नाम मोटा तपस्यां रे साथ फबसी । हो मुनि... ओ अनशन आ सहज समता, लाखां लोगां रै दिलां में थांरी छाप छपसी ।। हो मुनि ..... अन्तर ढाळ आवै वर लटकतो कनकध्वज कुमार गलिये अटकतो, आवै... ध्रुव. जोवै विमलपुरी नां वासी, गोखै - गोखे मृगाच्छी रे । ओ आवै सिंहल नो छावो, परणवा प्रेमला लच्छी रे ।। अन्तर ढाळ आवत मेरी गलियन में गिरधारी गावत मैं तो पूज तणां गुण भारी २ । ज्यांरी सूरत री बलिहारी, ज्यांरी करणी री बलिहारी ।। ध्रुव . भरतक्षेत्र में भिक्षु प्रगट्या, भारिमाल शिष्य भारी । सुधरम वीर तणी पर जोड़ी, उत्तम पुरुष उपकारी ।। गावत मैं तो पूज तणां गुण भारी ।। अन्तर ढाळ * वीर विराज रह्या । मनवा ! नांय विचारी रे | थांरी म्हारी करतां बीती उमर सारी रे, मनवा !... ध्रुव . गरभवास में रक्षा कीन्ही सदा विहारी रे। बाहर काढो नाथ ! करस्यूं भगती थांरी रे ।। मनवा... ।। ३८८ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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