SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 239
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६. सात पाट में एकण साथे छव दीक्षा खुशहाल। जोधाण बाईस एक दिन एकाणू री साल।। १०. सोहागण भागण वैरागण कन्या अकनकुमार। जठै निहारो जणां निहारो आठ-सात तैयार।। ११. शिक्षाक्षेत्र प्रगति हित स्वामी ढूंढ्या नव-नव पाथ। बिन शिक्षा केवल दीक्षा स्यूं बढ़ज्या कोरो काथ।। १२. अष्टाध्यायी और प्रक्रिया-क्रम व्याकरण नवीन। सरस 'भिक्षुशब्दानुशासन' 'कालुकौमुदी' पीन।। १३. रघुनंदन कवि चौथमल्ल मुनि दोनां रो उद्योग। आशीर्वर कालू गणिवर रो बण्यो प्रयोग अमोघ ।। १४. काव्य कोश व्याकरण विशारद पढ़ साहित्य सतर्क। श्री कालू-बरतारे मुनिवर गहन ज्ञान में गर्क।। १५. रचना सरस भावना-भीनी पद्य पूर्तिमय स्तोत्र। श्री कालू-बरतारे सुण-सुण मुदितमना नहिं कोऽत्र।। १६. प्रवर प्रेरणा पाकर कीन्हो दर्शनक्षेत्र प्रवेश। कालू कृपया लही शिष्यगण षडदर्शन री रेस।। १७. रीझ खीज समयोचित साझी शिष्यवर्ग उत्साह अधिक बढ़ायो शिक्षा-क्षेत्रे कालू पुण्य-प्रवाह।। १८. सत्पुरुषां री सघन कल्पना हो फिर स्वप्न मझार। प्रायो प्राय साच ही निवरै गुरुवृत्तांत विचार ।। १६. धोळा-धोळा बाछि-बाछड़िया स्वपने दीठा स्वाम। नान्हा-नान्हा श्रमण सती बहु देखो दृगयुग थाम।। २०. सूको वृक्ष प्रफुल्लित निरख्यो परख्यो परिणतिरूप। हरित-भरित संस्कृत रो उपवन इच्छा रै अनुरूप।। २१. दृढ़ आस्था स्यूं स्वाम सुणायो सफल शकुन-संकेत। चौथ-प्रश्न पर पूज्य पडुत्तर श्रोता सुण्यो सचेत ।। २२. सूत्र भगवती कठिन-कठिन स्थल स्वपने मघ महाराज। सरल तरीकै स्यूं समझाता प्राप्त सफलता साझ।। २३. श्री मघवा री लेख सुघड़ता धारी दृढ़ता-धाम। लेखन-शिल्प अनल्प बढ़ायो निज शासन में स्वाम।। १. देखें प. १ सं. ७३ शिखा-२ / २३७
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy