________________
उपनाति-वृत्तम्
३. कल्याणकार्यस्ति समस्तकार्ये, यद्यप्ययं मूलसुतः स्मृतः सन् । तथाप्यमुष्मिन् सुतरां समस्तु, विज्ञप्तिरित्थं क्रियते मया प्राक् ।।
कालूणी की स्मृति प्रत्येक कार्य में मांगलिक है, फिर भी मैं कार्यारंभ पहले आवेदन करता हूं कि वे इस काव्य के रचनाकाल में विशेष रूप से मांगलिक हों ।
५८ / कालूयशोविलास-१