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१. आर्य देश १३. जितनिद्र २५. तदुभयविधिज्ञ २. प्रशस्त कुल १४. मध्यस्थ २६. उदाहरणनिपुण ३. प्रशस्त जाति १५. देशकालभावज्ञ २७. हेतुनिपुण ४. प्रशस्त रूप १६. प्रत्युत्पन्नमति २८. उपनयनिपुण ५. दृढ़ संहनन १७. अनेकभाषाविद २६. नयनिपुण ६. धैर्य . १८. ज्ञान आचार ३०. शीघ्रग्राही ७. अनाशंसी १६. दर्शन आचार ३१. स्वसमयज्ञ ८. श्लाघानिरपेक्षता २०. चारित्र आचार ३२. परसमयज्ञ ६. ऋजुता २१. तप आचार ३३. गंभीर १०. स्थिरबुद्धि २२. वीर्य आचार ३४. अनभिभवनीय ११. आदेयवचन २३. सूत्रविधिज्ञ ३५. कल्याणकारी १२. जितपरिषद २४. अर्थविधिज्ञ ३६. शान्तदृष्टि
३६. पुत्र-सुख से वंचित एक राजा का अचानक स्वर्गवास हो गया। उत्तराधिकार के प्रश्न पर समस्या खड़ी होने लगी। समाधान की दिशा में उस समय प्रचलित परम्परा का प्रयोग हुआ। राज-परिवार में पालित बुलबुल को उड़ा दिया गया। वह उड़ती हुई जिस व्यक्ति पर जाकर बैठेगी, वही राजा बनेगा। इस निश्चय के साथ कुछ राजपुरुष बुलबुल की गति का पीछा करने लगे।
बुलबुल उड़ती हुई जंगल में गई और एक घसकट्टे (घास बेचकर जीविका निर्वाह करने वाले) के सिर पर जाकर बैठ गई। राजपुरुषों ने उस व्यक्ति को घेर लिया। वह बेचारा घबराकर बोला-'मुझे क्यों पकड़ते हो? मैं अपने खेत का घास काटकर भारा लाया हूं, किसी दूसरे का नहीं। मैंने कोई अपराध नहीं किया है।' राजपुरुषों ने बड़ी मुश्किल से उसको समझाकर राजा बनाने की बात बताई।
घसकट्टा खुश होकर राजमहल में पहुंचा। वहां उसे नहला-धुलाकर राजसी वस्त्र पहनाए गए। राज्याभिषेक समारोह में उसे ऊंचे सिंहासन पर बिठाया गया। विधिवत सारा काम संपन्न हुआ। सिंहासन से उतरते समय उसने अगल-बगल खड़े दोनों मन्त्रियों के कंधों का सहारा लिया। राजा के इस व्यवहार पर मन्त्रियों को हंसी आ गई। कल तक तो घंटों भर घास काटता और सिर पर बोझ ढोता, फिर भी थकान नहीं आती। आज बैठा-बैठा थक गया, इसलिए सहारे की जरूरत पड़ रही है। मंत्रियों की हंसी के पीछे यह पृष्ठभूमि थी। राजा ने देखा और समझा, पर कहा कुछ नहीं।
थोड़ी देर बाद उसने दोनों मन्त्रियों को बुलाकर पूछा- 'उस समय आप
परिशिष्ट-१ / २६६