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नानू झमकू केसरजी दो सुंदरजी, मनहर लिछमां छगनांजी पानकंवरजी। सोहनां सोलमी एक साथ सब तारी, सारी जनता श्री कालू री बलिहारी। अब छियासी री दीक्षा सुणो सुप्यारे,
तीजे उल्लासे दीक्षा-व्रत स्वीकारे ।। २४. श्रावण सुद सातम रायकंवर चंदेरी,
कार्तिक बोरड़ जयचंद ग्रही शिव-सेरी। मा. सुद सुजानगढ़ कंचन राजनगर री, चम्पा रु गणेशां जेठ' दया गुरुवर री। सित्यासिय पावस गंगाणे परतापो, सरदारशहर नव जण जीत्यो निज आपो। बो संत खेतसी चोथू जन्म सुधारे,
तीजे उल्लासे दीक्षा-व्रत स्वीकारे ।। २५. नत्थू टमकोरी माता' साथ सुहायो,
भैक्षवशासण में भारी नाम कमायो। आशां लिछमां नोहर छगनां पिस्तांजी, सरदारशहर री मनोहरां मन राजी। श्री डूंगरगढ़ रो कोडो कोड पुराया, अरु छत्र सुराणो चूरू गुरुपद पाया। राजलदेसर में दंपति नै उद्धारे, तीजे उल्लासे दीक्षा-व्रत स्वीकारे ।।
दोहा २६. बींजराजजी बैद रो, नंदन नाम अमोल।
सिरेकवर पत्नी सहित, संजम लै दृढ़कोल।। २७. उगणीसै इट्टासिए, बीदासर . चउमास।
बारह दीक्षा दीपती, दीन्ही कार्तिक मास ।।
१. वि. सं. १६८७ जेठ मास बीकानेर में २. साध्वी बालूजी
उ.३, ढा.१६ / २४७