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________________ टिप्पण (Notes & References) . 255 अज्झावयाणं वयणं सुणेत्ता उद्धाइया तत्थ बहू कुमारा। दंडेहि वित्तेहि कसेहि चेव समागया तं इसि तालयंति।। 114. उत्तराध्ययन, 1.37 ...बालं सम्मइ सासंतो गलियस्सं व वाहए।। 115. उत्तराध्ययन, 27.16 जारिसा मम सीसाउ तारिसा गलिगद्दहा। 116. उत्तराध्ययन, 11.4-5 अह अट्ठहिँ ठाणेहिं सिक्खासीले त्ति वुच्चई। अहस्सिरे सया दंते न य मम्ममुदाहरे।। नासीले न विसीले न सिया अइलोलुए। अकोहणे सच्चरए सिक्खासीले त्ति वुच्चई।। 117. उत्तराध्ययन, 11.14 वसे गुरुकुले निच्च जोगवं उवहाणवं। पियंकरे पियंवाई से सिक्खं लद्धमरिहई।। 118. उत्तराध्ययन, 11.3 अह पंचहिं ठाणेहिं जेहिं सिक्खा न लब्बई। थंभा कोहा पमाएणं, रोगेणालस्सएण य।। 119. राजप्रश्नीय, 185 (ब्या.प्र.) ...पोत्थयरयणस्स...वण्णावासे पण्णत्ते... ...कबिआओ..दोरे...गंठी...पत्तगाई...लिप्पासणे...छंदणे...संकला...मसी...लेहणी... अक्खराइं...। 120. पाणिनी अष्टाध्यायी, 3.2.21, 4.1.49, 1.3.75, 1.3.11 __...लिपिलिबि..., 3.2.21 ...रण्ययवयवन (यवनाल्लिप्याम्, महाभाष्य, 4.1.49) ...यमोऽग्रन्थे, 1.3.75 स्वरिते..., 1.3.11 121. भगवतीवृत्ति, 1.1.2, पृ. 5 लिपिः पुस्तकादावक्षरविन्यासः 122-I. समवायांग, 18.5 बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेखविहाणे पण्णत्ते तं जहा-1. बंभी 2. जवणालिया 3. दोसऊरिया 4. खरोट्ठिया 5. खरसाहिया 6. पहाराइया 7. उच्चत्तरिया 8. अक्खरपुट्ठिया 9. भोगवइया 10. वेणइया 11. निण्हइया 12. अंकलिवी 13. गणियलिवी 14. गंधव्वलिवी (भूयलिवी) 15. आयंसलिवी 16. माहेसरी 17. दामिली 18. पोलिंदी.
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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