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जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद
सीहल पारस कोंच अंध दविल चिल्लल पुलिंद आरोस डोंब पोक्कण गंधहारग बहलीय जल्ल रोम मास बउस मलया य चुंचुया य चूलिय कोंकणगा मेद पल्हव मालव मग्गर आभासिया अणक्क चीणल्हासिय खस खासिय नेहर मरहट्ठ मुट्ठिय आरब डोंबिलग कुहण केकय हूण रोमग रुरु मरुगा चिलायविसयवासी य पावमतिणो । II. प्रज्ञापना, 1.89
से किं तं मिलक्खू ? मिलक्खू अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा - सग जवण चिलाय, सबर बब्बर काय मुरूंड उड्ड भडग णिण्णग पक्कणिय कुलक्ख गोड सिंहल पारस 'गोध कोंच' दमिल चिल्लल पुलिंद हारोस डोबं वोक्काण गंधाहारग बहलिय अज्जल रोम पास पउसा मलया य चुंचुया य सूयलि कोंकणग मेय पल्हव मालव मग्गर 'आभासिय णक्क' चीणा ल्हसिय खस खासिय णेद्दर मोंढ डोंबिलग लउस बउस केक्कया अरवागा हूण मग भरू मरूय चिलायाविसयवासी य एवमादी से त्तं मिलक्खू ।।
16-1. प्रवचनसारोद्धार, 1583-85
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सग-जवण सबर-बल्बर-काय -मुरूंडोड्डगोण-पक्कणया । अरबाग - होण - रोमय- पारस खसखासिया चेव ।।
बिलय उस-बोक्स- भिल्लंडध - चुलिंद - कुंच - भमररूया । कोवाय- चीण- चंचुण - मालव-दमिला कुलग्घा य ।।
. केक्कय-किराय-हयमुह- खरमुह-गय-तुरय-मिंढयमुहाय । हयकन्नागयकन्ना अन्ने वि अणारिया बहवे ।।
II. प्रवचनसारोद्धारवृत्ति, पत्र 445-2
“शकाः यवनाः शबराः बर्बराः कायाः मुरुण्डाः उड्डाः गौड्डाः पक्कणगाः अरवागाः हूणाः रोमकाः पारसाः खसाः खासिकाः दुम्बिलकाः लकुशाः बोक्कशाः भिल्लाः अन्ध्राः पुलिन्द्राः कुंचाः भ्रमररूचाः कोर्पकाः चीनाः चंचुकाः मालवाः द्रविडाः कुलार्घाः केकयाः किराताः हयमुखाः खरमुखाः गजमुखाः तुरंगमुखाः मिण्ढकमुखाः | हयकर्णाः गजकर्णाश्चेत्येते अनार्याः ।
17.
प्रज्ञापना, 1.90-100, 111
से किं तं आरिया ? आरिया दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - इढिपत्तारिया य अणिड्ढिपत्तारिया
य 190
डिपत्तारिया छव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाहरा 191
अणिडिपत्तारिया णवविहा पण्णत्ता, तं जहा - खेत्तारिया जातिआरिया कुलारिया कम्मारिया सिप्पारिया भासारिया णाणारिया दंसणारिया चरित्तारिया । 92 से किं तं खेत्तारिया ? खेत्तारिया अद्धछव्वीसतिविहा पण्णत्ता, जहा